वस्तुसार प्रकरण | Vashtusaar Prakaran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.47 MB
कुल पष्ठ :
288
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एव बकरा ४ समतल भूमि पर दो हाथ के विस्तार वाला एक गोल चक्र करना घर इस गोल के मध्य केन्द्र में बारद अंगुज का एक शंक स्थापन करना। पीछे से के उदयाद में देखना जहां शुंक् की छाया का अंत्य भाग गोल की परिधि में लगे वहां एक चिद् करना इसको पश्चिम दिशा दिशा साधन यंत्र समकना। पीछे सूये के अस्त समय देखना जहां शंडु की छाया का अंत भाग गाल की परिधि में लगे वहां दूसरा चिह्न करना इसको पूव दिशा समझना | पीछे पूवे और पश्चिम दिशा तक एक सरल रेखा सींचना। इस रेखा हुल्य व्यासाद्ध मानकर एक पूर्व कै भा जे पिंदु से थार दूसरा पश्चिम पिंदु से ऐसे _ दो गोल खींचने से पूद पश्चिम रेखा ू कि दि पर एक मत्स्याकऊृति मछली की झाऊति जेसा गोल बनेगा । इसके ं मध्य पिंदु से एक सीधा रेखा खींची जाय जो गोल के संपात के मध्य भाग में लगे जद्दां उपर के भाग में स्पशे करे यह उत्तर दिशा और जहां नीचे भाग में स्पश करे यह दक्षिण दिशा समझना ॥९॥। ् जेसे-- इ 5 ए गोल का मध्य बिन्दु अ है इस पर बार घंगुल का शक स्थापन करके सर्योदय के समय देखा तो शंक की छाया गोल में क पिन्दु के पास प्रवेश करती हुई मालूम पढ़ती है तो यह के बिन्दु पश्चिम दिशा समकना और यही छाया मध्याह् के बाद च बिन्दु के पास भोज से बाहर निकलती मालूम होती है हो यह च? पिन्दु पूर्व दिशा समझना । पीछे क दिन्दु से च प्रिनदु तक एक सरल रखा खींचना यददी पूवा पर रेखा होती हैं। यही पूवो पर रखा के
User Reviews
No Reviews | Add Yours...