सन्निवेश - तीन | Sannivesh - Tin
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
213
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)टूमरे में मजु चादिनी वीणा, नस-नस भौर पेशी-पेशी में स्ति की उमम
कृ हमा प्रादार मनकी प्रासो ङे प्रागे वडा होना है जब हम वीर रमा-
कार मदाश्वि सूमन कफानामतेते है! भय मानम होता होपा उनके
पाम तक फटने में जब यह मूति कभी रीद्र रुप धारण करके मर कुछ
लिए तीघ्र गति से भाती होगी ।'
-वीर सतसई भूमिका: सहल, गौड, ग्राशियां
सो इस रौद्र रूप घारी कवि ने, अपने युग के जो गीत गाये वे
भगार जैसी वोरता के गीत हैं । इस अ गार जैसी वीरता का चिप्रण कवि
ने बात्यकाल से हो विया है। जब क्षश्राणी के गर्भ से बालिका का लम्म
होता है तो जो स्थिति होती है वह यों है-
हूं बनचिहारी राशिया, साधा. रम सिवाय
जाचा. हदें तापणे, हरसे थी. हगलाय ॥
मैं उन रानियो पर बलिहारी ह जो गरस्तान षो षम
प्रभार की टोस दिक्षा देती हैं कि नवजात वालिवा प्रसूना के तापने की
प्रगीटो को टकटकी लगाकर देखती है. (कि यह वहीं भ्लि है जिसगे
सती होने या जौहर के समय काम पढेगा घर इस प्रवार सती होते या
गौहर के सरकार दालिका में जन्म से ही वैदा हो जाते थे) ।
भौर यदि गर्भ से दालक का जन्म होता है तो--
हूं बलिहारी राथिया, भ्रूण सिखावण माव।
नष्टो बाणा रो द्री, पटे जगियो माद ॥
में उन रानियों पर स्यौदादर हूं जो घने वालदों से भ्राम्य
मे ही ऐसे सस्वार भर देवी हैं कि पंदा होते ही शियु नाल बाटने को सुरो
गर भपटता है (कि समय पाने पर तलवार से काम पढेंगा भौर इस समद
पत्य प्व तो उदा हौ लिया जाय)!
ध भर जब पर वे दरेूड़े बट़ों बादर घरे ये तो मो टेसे हो एक
पोगरे' ने गडब टा दिया ।
बात गदौ सं माहिर, शदो जव कद्ग ।
योहि मबा ोशरं, दंरो-रं दर पद ॥
पिता सात बर डटर चना रदाओौर दावः शृटर्ड शौ दद
स्वा) के बदरद याटर चला गया तो भी दीप से स्स्मे नके द
सन्तेदेदन्तोन /
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