जैन बाल गुटका भाग - 1 | Jain Bal Gutaka Bhag - 1

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Jain Bal Gutaka Bhag - 1 by बाबू ज्ञानचन्द्र जैनी - Babu Gyanchandra Jaini

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जैनेवाछगुरका प्रथम भाग । प ८ १४ चौदह प्न प पताल से निकछता नागेन्द्र की भवन दीसे ह |= = 1 1 १५ पंद्रहवें स्वप्न में अरुण जे पद्म रागमणि (कुन्ती) (सूरः) उञ्पेख जे वज्रमणि (हीरा) हरिति जे सरकत मणि (पन्नाक्याम जे इन्दर नीरमणि (नीलम), ओर पीत जे पष्प राग मणि (एषराज, इत्यादि रलो की बी ऊंची राशि दीखें है । ॥ } ( [6 € १६ सोरहवे खप्ने मे बरती हं निधूम अगि दले है । शक




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