अंग्रेजी साहित्य का इतिहास | Angregi Sahitya Ka Itiyas

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Angregi Sahitya Ka Itiyas by एस० पी० खत्री - S. P. Khatri

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about एस० पी० खत्री - S. P. Khatri

Add Infomation AboutS. P. Khatri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( २ ] भारतीय साहित्य के सभी श्रंगों पर शरग्रेज़ी साहित्य-सर्य की प्रर किरणें पड़ी हैं । दर्शन तथा राज़नीति, समाज-शास्त्र तथा ्रर्थ-शास्व सभी ने कुछ न कुछ मात्रा में श्रैंग्रेज़ी श्रादर्शों को या तो सराहा है या श्रपनाया है । हमारी सादित्यिक विचार-घारा तो वास्तव में श्रत्रेज़ी साहित्यिक आदर्शों की पूर्ण अनुयायी हो रही है उपन्यास शरीर नाटक) कहानी शर एकाकी, काव्य शऔर गद्य, गीत तथा लेख, श्रालोचना तथा शली, दिन प्रतिधिन श्रंग्रेजी साहित्य कफीदीव्रहमुग्वी प्रतिभा के पहरि श्रपना मार्ग दंड रहे हैं । « भारतीय जीवन पर श्रंग्रेजी श्ाचार-विचार, साव-विनिमय तथा रहन-सदन ने गहय प्रभाव डाला दहै) राजनीतिक तथा सापराजिके तेत्र में तो य्दद प्रभाव सर्वत्र ही विदित है । श्राघनिक शिक्षा में यद्यपि श्रंग्रेजी भाषा का महत्व बहुत कुछ घट रहा है शोर घटेगा परन्तु इसमें सन्देह नहीं कि श्रंग्रेजी साहित्य क्रा प्रभाव बहुत दिनों तक स्थायी रदा | इसका कारण यह है कि रिनता-मध्यम मे अंग्रेजी भाषा दृदकर न्द क्रो स्थान तो एक दिन अवश्य ही देगी, परन्तु बद्‌ चियाररियों और साहित्य मर्मज्ञों दौर आन्वपकों की उत्सुकता इतनी धिक बढ़ाती रदेगो कि कडाचितू उसको प्रमान श्रर्‌ मी गम्‌ जायगा | विदेशों से विचार विनिमय श्रौर्‌ भी उपयोगी सिद्ध ता द्रादान्‌-प्रदानि मं भाषां फिर होगी रोर शायद साहित्य निर्माण मं उसका विशिष्ट स्थान रहेगा । परन्तु यद कहना कि श्रग्रेजी मापा शोर अंग्रेजी साहित्य ही संसार में सर्वश्रेष्ठ हैं भारी भूल होगी । प्रस्पेक देश की द्रपनी भाषा आर अपना साहित्य ही प्रष्ठ जेचेगाः रौर यह ठीक भी क्योंकि बिना दस भावना चने ना भागी प्रगत्तिक्रर सक्ती हैं आर ने साहित्य ही दसत दहा सका | रूसी, क्सीर, जमन, स्ग्रेज़ सभी अपने शपने मादित्य की श्राराघना अर ससाहना करते दह, मगर साहित्य मर्मज द्रभवा श्ालोचक को तो ऐसी श्साहित्यिक चिचारा धारा से अलग र कर उनकी श्रेप्ठप्ता की परख करनी चाहिये | यदि इस दॉप्टि से देखा. जाय तो सभी देशों के साहित्य में कुछ न. ल पूव श्रेप्ठता मिलेगी । जमन साहित्य में दर्शन उच्च कोटि का है शायद अन्य साहित्यां में संस्कृत टशन-साहित्य ही उसकी समता कर संके;




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now