सूर राम चरितावली | Sur Ram Chretawli
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
283
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
श्री सूरदास जी - Shri Surdas Ji
No Information available about श्री सूरदास जी - Shri Surdas Ji
सुदर्शन सिंह - Sudarshan Singh
No Information available about सुदर्शन सिंह - Sudarshan Singh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सूर-रामचरितावली
मङ्गटखाच्रण
राग विलावल
[. |
हरिहरि, हरि-दरि खुमिरन करौ । हरि-चरनारयिंद उर धरौ ॥
जय अरु विजय पारषद दोद् 1 विप्र-सराप असुर भप सोद ॥
एक वराह-रूप धरि मारौ । इक नररसिद-रूप संहारी ॥
रावन-ङुभकरन सोद भप । राम जनम तिन क हित प ॥
दसखरथ पति अजोष्या-राव } ताके ग्रह किथौ भआविरभाव ॥
छप सों ज्यौ सुकदेव खनायौ 1 घुरदास' व्यौ ही कहि गाथौ ॥
निरन्तर भरीदरिका सरण करना चादिये जर श्रीहरिके चरण-कमर्छको
छदयरम धारण (चिन्तन) करना चाहिये । जय ओर विजय नामके (भगवान्
विष्णुके ) दौ पार्षद ( दाया ) ये । ब्राह्मणो ( खनकादि परमर्िर्यो ) के
शप्से वे दी असुर हो गये। उनरमेंसे एक ( हिरिण्याक्ष ) को मगवान्ने वाराह-
रूप धारण करके मारा और दूसरे ( हिरण्यकशिपु ) का सद्दार नसिंदरूप
धरण करके किया । वे ही दोनों (फ़िर) रावण और कुम्भकर्णके स्परे उसन्न
हुए । उनके उद्धारके लिये ही श्रीरामने अवतार धारण किया । अयोध्या-
नरेश महाराज दद्यरथके धर भगवान् श्रीरामक्रा आविर्भाव ( प्राक्स्य )
हुआ । राजा परीक्षितिको श्रीयुक्देवजीने जिस प्रकार यह प्रसद्ध सुनाया;
सरदासने उसी प्रकार ( श्रीमट्मागवतके अनुसार ही ) वर्णन करके उसका
यान किया है |
सु० ० चर १-
User Reviews
No Reviews | Add Yours...