उत्तराखंड के वनों में | Uttarakhand Ke Vanon Men

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Uttarakhand Ke Vanon Men by सुदर्शन सिंह - Sudarshan Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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था। अंक यदि विकारी मारा गया तो मरे जोवन की एवं लगाघ चोट होगी झुन शिकारी को एक बच्चे की तरह पाता है। बस, इतना ही सोच पाया था कि दूर अद्ध अधवारमय गहरे कटीले कलमट से एक चित- कबरा ढेर सा लुटकता दष्टिगत हुआ | मैंने मन में अनुमान लगाया, शायद वह खूल्यार बाघ ही हा सकता है। धीरे-धीरे काला चितक्वरा हर नजदीब' आता दिफ्लाया पडन लगा। राचि के समय बाघ की भाखा म॑ चमक की बडी प्रबलता हांतो है। इसलिए बाघ से नजर मिलाना मुश्किल हो जाता है। बाघ मरी हुई गाय से पचास फूट की दूरी पर आवबर टक्टफो लगाये ख़डा हो गया। मेर मिन श्री तूफान ने मेरी ओर आखा से सकेत किया--- गोली मार दूं 1 यदि उस काल बाघ को गोली मार दी जाती तो धाघ एक ही गोली सान पर जमीन म ढेर हा जाता । परतु अवल और शारारिक माड की द॒मी से गोली दे चल पायी | हमने देखा, बाघ बडा! निर्मीक्ता स मरी हुई गाय की आर अग्रसर हुआ और नजदोब आकर एददम रुक गया | शायद उसे कुत्ते की गध महसूस ही गयी थी । बाघ न इधर उधर अपनी दष्टि दौडायी | परतु क्रोध के नये मचूर होन के बारण वह भरी गाय पर मऋपटा और धीरे धीरे उसे गहरे कलमट बो ओर घुढकाने लगा। उस समय शिकारी बाघ का साई स दुबकी लगावर निहार रहा था। तब तक वह बाध पर नहीं भअपटा । पत्ता नही, डिकारो को क्‍या करना उचित रहा होगा या वह चायद अपना दाव देख रहा हो। बाघ पे मरी गाय को एक जोर का भद्या दिया और गाय सोधी खाई के क्नारे पर जा पढ़ी । ठीक हुआ वि' साम सड्डे में नही गिरी नहीं तो शिकारी को चोट जा जाती। तभी बाघ धमादे से याम के ऊपर मास साने वे लिए चढ बैठा | छिवारी ने सड्॒डे रा बाध बे ऊपर घातक छलाग लगा दी और पलक झापकते ही लिदारी वी मौत / 15




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