हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग | Hindi Ke Vikas Men Apabhransh Ka Yog
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
354
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(४)
जपने शूर्॑षती शेखको की ठन वारणश्रो की आलोधना भी की हैं जी
उठे श्रवन्तोकयद् जान -पढ़ी हैं । युस्तक के श्रन्त में उन्होंने कुछ परिशिष्ट
भी गोद दिये हैं थो पाठकों के लिए उपयोगी हैं । मैं उतकी इस उत्तम
कृति के लिए .उसे बचाई देता हूँ भर माषाशाहियों विशेषतः हिंदी,
जो स्वतंत्र भारत की राष्टू-माक्षा का उचित पद भास कर चुकी है, के.
विद्वानों को इसे पढ़ने के लिए 'आाद्ान करता हूँ ।
दिन्दू विश्व विद्यालय, बनारस } पी० एल० वैय
१६ फरवरी, १६५२
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