भारत में पोर्च्यूगीज | Bharat Mein Porchyugij
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७ )
कै अन्यान्य राज्ञा न्यम श्ति्ोन धै) दन्द
सूगोलमें, भारतवघ जिन श६ भिन्न भिन्न ठेगोंमें वंटा त्रा
था. उन्होंमेंस एक का नाम केरल वा चेरा था । सानावार
लम्बाई चोडाईमें केरल टेशके केवन्त आठवें डशिस्स के
वरावर था। उस समय काननोकट और कोचीन मसालादार की
दो शक्तियाँ गिनी जाता थीं । किन्तु विम्तारमेंये दोनों स्याम
मालाबारके केवल आठवें अर शके दरावर थे । करन सामाज्य को
चिता-भस्मके ऊपर, जव हिन्द राज्य विवय नमर प्रतिष्ठित
श्रा धाः सुना जाता है कि विजय नगरके आधीन तीन सौ
बन्दर थे और उनमें काई भो कालोकटसे छोटा नीं था ।
ईश्वरको क्पासे पुतंगोज पहिले मालावारके छो किनारे
पर आकर पहुँचे थे। मालावार हो उस समय व्यौपार
फ लाने, सखदेशकों सेवा करने, धस्सका प्रचार करने और
नया राज्य स्थापन करने आदिके उद्देश्यों को सिद्धि
का उपयुक्त स्थान घा। सम्भवतः:, भारतव्षके किसी
दूसरे. स्थानमें पइ चनेसे, दिन्ट्स्थानमें वास्कोडोगामा
और उसोके साथ पुतंगालको प्रतिष्ठा लाभ न ोतो । माला-
बारके सामन्त--ज़मौंदार-लोग संख्यामें वहत थोड़े थे भर
शक्तिमें भो क्ुद्र थे ; वे लोग एक छोटोसी यूरोपको शक्तिके
साथ भी युईसें सामना करनेके योग्य न थे । विदेशों
बनिये सब दा मालाबारके तोर पर आश्रय लेते थे । सामुद्रिक
वाणिज्य व्योपार से हो सालावारके सामन्तोंके खजाने भरे
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