भारत में पोर्च्यूगीज | Bharat Mein Porchyugij

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Bharat Mein Porchyugij by रामनाथ पांडेय - Ramnath Panday

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ ) कै अन्यान्य राज्ञा न्यम श्ति्ोन धै) दन्द सूगोलमें, भारतवघ जिन श६ भिन्न भिन्न ठेगोंमें वंटा त्रा था. उन्होंमेंस एक का नाम केरल वा चेरा था । सानावार लम्बाई चोडाईमें केरल टेशके केवन्त आठवें डशिस्स के वरावर था। उस समय काननोकट और कोचीन मसालादार की दो शक्तियाँ गिनी जाता थीं । किन्तु विम्तारमेंये दोनों स्याम मालाबारके केवल आठवें अर शके दरावर थे । करन सामाज्य को चिता-भस्मके ऊपर, जव हिन्द राज्य विवय नमर प्रतिष्ठित श्रा धाः सुना जाता है कि विजय नगरके आधीन तीन सौ बन्दर थे और उनमें काई भो कालोकटसे छोटा नीं था । ईश्वरको क्पासे पुतंगोज पहिले मालावारके छो किनारे पर आकर पहुँचे थे। मालावार हो उस समय व्यौपार फ लाने, सखदेशकों सेवा करने, धस्सका प्रचार करने और नया राज्य स्थापन करने आदिके उद्देश्यों को सिद्धि का उपयुक्त स्थान घा। सम्भवतः:, भारतव्षके किसी दूसरे. स्थानमें पइ चनेसे, दिन्ट्स्थानमें वास्कोडोगामा और उसोके साथ पुतंगालको प्रतिष्ठा लाभ न ोतो । माला- बारके सामन्त--ज़मौंदार-लोग संख्यामें वहत थोड़े थे भर शक्तिमें भो क्ुद्र थे ; वे लोग एक छोटोसी यूरोपको शक्तिके साथ भी युईसें सामना करनेके योग्य न थे । विदेशों बनिये सब दा मालाबारके तोर पर आश्रय लेते थे । सामुद्रिक वाणिज्य व्योपार से हो सालावारके सामन्तोंके खजाने भरे




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