जीवानन्दनम् | Jeewa Nandanam
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
375
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about अत्रिदेव विद्यालंकार - Atridev vidyalankar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हू ११ 3
मरइठोंगे तंजौरको जौता श्रौर १६७६ से १८५५. तक राष्य किया ।
यह समय बहुत सुख श्र शास्तिका था। तीन सौ पचास साले वीच
९ नायकोकि समयको मिलाकर ) एकं सौ बीस से झधिक लेखकोंने उत्तम
भरेणीकी स्वना की थी । इन सब राजाओं में मददाराजा सरोफ़जी ने इस
कार्यमें सबसे झाषिक रस लिया था, जिन्होंने तंजौरमें महाराजा सरस्वती
पहल पुस्तकालबकी स्थापना की थी |
नायक श्रौर महाराष्ट्र राजाश्योंकी वंश परम्परा सिम्नसूपमें है---
नायक राज { १५६५-१६७४ ईस्वी पीछे )
१. कृवप्प्स ( सवप्पा ) १५६५१५६१ ।
२. स्युतप्पा { श्रह्ुतष्या ) १५६११६१४ }
३. रघुनाथ १६१४१६३३ ¦
४. दविजवराघव १३३३--१६७१३ ।
मरहठा यजा ( १६७६-५ दैष्वी पीठे )
दैकोजी १ १६७६-१६८द प्रतापसिह १७४११७६४
शाइजी ३ ६८्४८-९७१० ७, तुकाजी २ १७६५१७८७
सरोफ़ली १ १७१११७२० ८. अमरसिह १७८८१७९९
तुकाी 9 १७२९१७३५ ९, सरोष़जी
५. डेकोजी २ या महाराज २ १८००--१८६३२
भावा साहिन ५७६६१७३६ १०. शिवाजी ५८४२१८५१
इनमें शाहजी, सरोफजी १, तुकाजी $, रईैकोजी २, स्वयं श्रच्े
कवि थे |
शाइजी दूसरे मरइठा राजा ये । इनके नाम के विषयमे क जात
है कि इनके पिता के जन को पुन्न नहीं हुआ, तब शाह शरीफ नामव
फकीर के श्राशीर्वाद से पुत्र का जन्म हुश्ाथा । इसीके उपलब्ष में व
लद्केका नाम शाइजी स्कखा गया या। ये स्वथं श्रच्छ कवि थे
इन्होंने परिंडतों को एक ग्राम शादजी पुरम् ( तिरविखनलौर् ) नामः
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