अध्यापन कला | Adhyapan Kala
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
29 MB
कुल पष्ठ :
222
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कलाकार और अध्यापक ६
भी सदेह नदीं कर सकता | पर सौन्दर्थकी खोन्न करना
विज्ञानका काम नदीं | श्ाषाढ़के महीनेमेः मेका दशन
करनेपर कालिदास मेधदूत बना सकते हैँ । सघन घनकी
गोदमें विमल विजलीका विकल चरत्य देखकर कलाविद् यह
भी कडनेका साहस कर सकता है कि सारा श्ाकाश वृन्दावन
सा है जिसमें घनश्यामकी गोदर्मेः राघाके समान सौदामिनी
शोभा पा रददी है । पर इस सस्बन्धमें वेचारा वैज्ञानिक सुद्र;
सूय्य, गर्भी, भाफः, वायु आदि कुछ शब्द कहकर ही संतोष
कर लेता है । यदि विज्ञान घोर कलाका कचिके शब्देमिं अन्तर
बतलाए तो याँ कहें गे--
य सदा शिव होनेपर भी विरुपाक्त ही होता है।
किन्तु कलपनाका मन केवल सुंदरार्थ ही रोता है ।
कला श्र विज्ञान तथा कलाकार और बेज्ञादिकर्में अन्तर
बतला देनेपर यहीँ कलाकारके गुर्णोंकी संक्षिप्त सूची दे
देना मी चुत न होगा । अध्यापक भी कलाकार ही है!
अतः जो गुण प्रकृत कलाकारमें होता है वही अध्यापकर्मे भी |
कलाकार मानव-समाजका विचारक है। समस्त सानवोँकी
रखे वह विचार करनेका काय करता है। वह सोचता है,
विचारता है और सतत मचन करनेके पश्चात् मानव-समाजके
दितके लिये सत्य नौर कस्यारकारी लसिद्धान्तोका निरय और
प्रतिपादन करता है । ठीक यद्दी काम झध्यापकका भी
है। वह भी भावी पीढ़ीको सत्य, सुंदर और कल्याणकारी
चारोकी शिक्षा देकर उसके भविष्यको उज्ज्वल बनाता है ।
जिस पकार कलाकार मानव-जातिका पथप्रदश्तंक है उसी
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