विज्ञान के उपहार | Vigyaan Ke Upahaar

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vigyaan Ke Upahaar by meer najawat ali, subhadra salwi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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और गुण भी है । इसमें एक ताकत होती है । इसके कारण हम उस चीज की हर बारीकी को अलग-अलग देख सकते हैं । रोग के कई किटाणु और बेक्टेरिया बहुत छोटे होते हैं । इनमें से कुछ तो खुर्दबीन से भी नहीं दीखते । इनके लिए खास तरह के यंत्र बने । उनसे ये भी दिखने लगे । एक्स-रे फोटो के बारे में सब जानते हैं । एक तरह की खास किरणों को एक्स-रे कहते हैं । अस्पतालों में इन खास किरणों से शरीर के भीतर के फोटो खींचे जाते हैं । ये किरणें शरीर में से गुजर सकती हैं । इस बात की कोशिश हुई थी कि इन किरणों को काम मैं लेकर एक खुर्दबीन बनाया जाये । मगर ऐसा नहीं हो सका । अलग-अलग काम के लिए अलग-अलग यंत्र हैं । इससे सबकी जरूरत पूरी हो जाती है । इस यंत्र से बीमारी पैदा करने वाले कीटाणुओं का पता चला । फिर एक और नये किस्म का यंत्र बनाया गया । इसमें लेंस के बजाय चुंबक ही




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