हिन्दी भाषा और साहित्य में ग्वालियर क्षेत्र का योगदान | Hindi Bhasha Aur Sahitya Men Gwaliyar Kshetra Ka Yogadan

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Hindi Bhasha Aur Sahitya Men Gwaliyar Kshetra Ka Yogadan by राधेश्याम - Radheshyam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६१ में आए थे । वैजू बावरा समवत: गुजरात से आकर चन्देरी ठदरता हुभा खालियर भा पहुँचा था । चन्देरी में वह “कला”-नाम्नी जाराध्या के सम्पर्क में यावरा हो गया था। सुरदास, गोविन्दस्वामी श्र तानमेन, म्वालियर की सस्कूति की हो उपज थे । यहीं माधुरी अप्टद्ाप भर वल्लम सत में पहुँची-दस्यू, महमूद क्ण-सगीत नायक-पयहां य । मधुक्ररशह-वुन्देला, प्रकीणराय, हरीराम व्याम ओरद्या, तानमन, मामङ्रण, बादि के पद, सूर वी पद रचना के पूर्वाधार के रुपमे प्राप्त थे । हिन्दी का पोषण सस्कृत, पालि और अपध्र श के स्तन्य में हुआ है। उसकी अभि- ब्यजना शक्ति में, तुर्कों के माध्यम से प्राप्त पारसी साहित्य से भी प्रखरता आई थी। तत्कालीन ग्वालिणर क्यो यह सयोग प्रप्त हमा थाक पिदधे लेप के जैन अपधाश कवियों ने अपनी समस्त प्रशस्त रचनाएं यहा लिखी और लगभग लुप्त प्राय जैन मपच्र श साहित्य का पढे पुनरुद्धार स्या । यह स्मरणीय है कि रइघू अपभ्रदा का मतिम प्रतिष्ठित कवि है । रइघु को राज्याथय भरे ही प्राप्त न हो दहू ड्परेन््रमिह बौर बीलिलिह तोमर राज्य काल में अनेक प्रयो की मुफ्टि बर मरा था! नयचन्द्र मूरि का सस्कत में हम्मोर महाकाव्य बीरम देव-राज्य में रचा गया धा! पद्मनाभ, नयचन्द्र सूरि, रद्ध, यण.कीत्ति, गुणकीत्ति आदि विदानो कै माध्यम से गवानियर कौ परिचिम भारत की जन विद्रत्ता मौर मृदल कवित्द कौ परम्पराएं उपल हुई थी । इस प्रकार स्वा्तियर मे षनदरहवी-मोलहवी शताब्दी ई० मे एक विशाल सा्द्रतिक क्रान्ति हई निमे हिन्दी भाषा-काहित्य के ग्ानियरो-पोगदान करी घारा, हिन्दी के महासागर ते निलीन होकर मपनी उत्ताल तरो बे हिन्दी महोदधि कौ तरगावित कर उठी 1 यतु शोय प्रवन्ध मे अग्रकादित पाण्डुलिपियों के अध्ययन के लिए आचार्य द्विवेदी हरिहर तिवास-ग्र्यागार, विद्यामदिर, मुरार, स्वालियर, सुविधापूर्वक उपलब्ध रहा । लेखक समय-समय पर, व्यस्त धो मे आचार्य द्विवेदी का वात्महय पूर्ण स्नेहा- सिक्ता मार्गदर्शन पा सका । प० वनमाली स्रि ने फोटो लिपि हस्तलिखित प्रति की ली । रूंद० प० विजयगोविन्दजी ने ब्रह्म वन में शोध प्रवस्व को देखा था । विद्वान निर्देशक डॉ० महेन्द्र भटनागर ने लेखक को अत्यन्त सहयोग देकर अनुग्रहीत किया 1 आदरणीय विद्वान डा० शिवमगलसिंह सुमन, उउजेन, डॉ० सुझीराम शमा, कानपुर्‌, डा० राजेदवरं प्रसाद चतुर्वेदी, डं पीतमर्मिह्‌ तोमर, मगस, डॉ० कम्तूर चन्द कासलोवाल जयपुर, डॉ० रामचरण महेत्द, कोटा (राज ०),डॉ ० राजकुमारी कौन, जयपुर से भी लेखक अनुग्रहीत हुआ 1




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