प्राचीन हिन्दू मातायें | Prachin Hindu Matayen

Prachin Hindu Matayen by शिवब्रतलाल - Shivbratlal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क# आडिमू % क प्राचीन हिंदू सातायें % हर शिव की दो मातायें । न च अभी बहुत छोटी आयु का था कि उसकी माता का देद्दान्त दोगया । नन्दं चाठककों हि 8 उस समय इतनामी चोघ नं था कि चहद: (करे. अपनी इस को समझ सकता केचल तीन चपे की आयु थी ।, उसे कोई शान नहीं था ; कि मरना और जीना किसको, कदते हैं. । नदी के किनारे एफ पदाढ़ के ,समीप चिता चनाकर माता, जी की ठोथ दग्ध करदी गई ! संध्या के समय शिव ने अपनी तोतरी भाषामें नानी जी से पूछा दीदी कहां ? शिव अपनी माता - को दोदी कद्दा करता थ!; नानी जी ने रो कर उत्तरदिया वच्चे 1 तेरी माता खर्ग को गई, ईश्वर से उसको बुला लिया, नदी कं किनारे घद्द जल कर राख हागई 1 दिव की समझ म नानी की वात नहीं आईं किन्तु चद्द दकावका होगया। अभी सूर्य, भगवान उदय नददं हुये थे कि चद् नन्हां चालक




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