वनौपधि विज्ञान भाग 2 | Vanoshdhi Vigyan Bhag-ii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.09 MB
कुल पष्ठ :
101
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कई मप्र २ रु खाने विष हैं. नेनकेटिये हिनिकर हलका आर दिप दिस्पोट के सम साम नाग कफ एयर मेत्ररोगका नाश परनवाढा है साठ कनेर-रोधक तीसा खानिमें कड़वा औोर टेप करनेसे बुप्टनाश क दे. पीठापनठिये सुब रगफा कनेर-मस्तकपूल कक और वायुका नाश करनेदारा है. औपधिपयोग- १ साप वि और फुरपेफें विपपर-सफेंद कर सेरवी थिसकर डउपर टेप वरना अयडा लड़ घीसकर दक्तिके अनुमार पीना या पहेंका रस पीना. कदानिदू उसके पीनेंमे रडानि हो तो पी पिछा- ना चाहिएँ २ उपदेशपर-वनेरकी जड़ विप्लकर ठेप फरनेमे अताथ्य पिागी मिठ्ती है ३ 9 विपमज्वरपर-सफेद कमेरकी जड़ रपरिवारके दिन कानपर व्ंघना सच प्रकारके ज्वरोपर यह योग चना है. ४ अशेपर-क्नेरकी लड़का ठेप करना ५. विमर्पर-ठाठ कनेरके कुछ और वावठ समभाग रकर सत्तका ठड़ पानीम मिगों दूना और चरतन खुडा छोड देना. संभरे उसमें कुछ आर चावउाकों पिप्कर ठेप करना शिरोसिगपर-परवरे पत्यरपर सफेद कनेरकी सड़ सूखी पिप्कर दर्दवाल भागपर मलना चाहिए ७ सापके विपपरनसंफेद कमेरके मूले फूल और कड़ी तयाकू समभाग तथा थोडी दढ़ायचीक। चूणी कपडे छादकर तवाकूकी तरह सूंवना चाहिए श३--कनक. नाम-प कनऊफ . वणेन-यह कद होता है. इसकी वेठ अधिक छमी ओर विस्तार वादी नहीं होती मेंछ बारीक और पत्ते गोल नोकदार तथा छोटे होते हैं. आदत जैसे इसमें जमीनमें फूट ठगने हैं व शकर करते मोटे और उन- नेहीं छत्रे होते है. इसको मरादीमं कणगर कणमी और काटेकग ग्या भी कहते हैं. इनको भूनकर या. उचाठकर खाते ई. फ्छाहारएं थे काम जर्तें हैं- वारदा व कोने यह मीठा और दाष्टिक होता है. औपवी मयेग- १ अर और रक्तातिसारपर-दसकों सुनकर थी इाकाके साप सपरे खिढाना
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