ताराशंकर वंद्योपाध्याय दुनिया एक बाजार | Tarashankar Vandhopadhyay Duniya Ek Bajar
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सकेगी । टिक्ली को चुनरिया को तरह वाप वा डर नहीं है। उसकी मा
सव कुछ जानती है 1 उवे सवते ज्यादा खुनी हुई । रात का गाटक भ्रानि पर
यह दूर से ही देख लेगी श्रोर कही चुनरिया उसके गाहक को वहका ले तो
उससे मंगड सकेगी ।
हाट मे जैसे कूडा-वघरा एक श्रोर ढेर हावर पडा रहता है, ये भी
हाट म ही जमी पढ़ी हैं । यही इनकी पदाइश हुई, यही मौत होगी । इन
लोगा म झादी-ब्याह की दसी बड़ी कठिन पावदी नहीं है। एक दिन
एकाएक टिक्ली की माग मे सिंदूर देमक उठा 1 किसने दिया--किसीने
इमकी खोज-खदर नही ली ।
मूवनपुर की इस हाट म प्रचानक एक दिन रूपवती मालती झा
पहुंची । भरी जयानी । उन्नौस-वीस साल कौ क्वारौ लडकी । भरजीव
लडकी 1 वदन प्रर सादी कमज, टक्टक रगीन कोर की साड़ी, कमर पर
एक टाकरी । एक श्रघबूढी श्रीरत वे सिर पर दूसरी एक टोकरी रखकर
बह हाट के श्रदर पठी श्रौर ताती के छज्ज के सामने खडी होकर बोभी
घरनीदास की दुकान कौन-सी है वता सकते है ? सुरभि गांव का घरनी
दास--तात के कपडे बेचते हूं । हाट मे उस समय भीट माड कम थी ।
चेचनेवाला वा माना सुरू ही हुआ था । सीदा-पाती खरीदनेवालो को
मोड नहीं भाई थी । फिर भी जो थोटे से लोग श्राए थे, सबका मुह उस
खञ्ज कौ तरफ घूम गया । एक छोकरा--कमर पर खड़ी एक लाठी; उस
पर श्रास-सा बनाता हुमा श्राडा भ्राडा पडा एक डडा, उसपर भूलता
हुआ रंग विरगा फीता, वार, बाल म खासने के कांटे, हेयर क्लिप । हक
लगाकर बेचा करता है--
दो-दो श्रना, फीता, कार
लवाइ मे हाय चार!
वाल वाधो, खुलेगा ना
चल देगा तो मिलेगा ना। ~
दामाद को दाघा, नहीं टूटने का । दामाद बाघने को कार चाल वाघने
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