प्यारे राजा बेटा भाग - 1 | Pyare Raja Beta Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रिषभदास रांका - Rishabhdas Ranka
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खर्गीय राजिन्द्र
' होनहार बिखान के, होत चीकने पात” यह लोकोक्ति!
बड़ी तथ्य-प्रण है । दाख्र-पुराणों और ऐतिहासिक घटनाओं में इसंकीं
यथाथता का देन होता है । स्व० रा जे न्द्र भी ऐसा ही बालक,
था | धुव, प्रल्हाद तथा अन्य भक्त बालकों की कया सददस्रो-लाखों
वर्षों के व्यवधान से श्रद्धा और भक्ति की चीजें रह गहै, ताजा ओर
प्रत्यक्ष होतीं तो वे भी कुतूहल पैदा करती । लेकिन आत्मा बहुत बडी
चाज है। वह समय और स्थिति की सीमाओं या बाघाओं से अतीत है !
प्रगति-पथ पर अग्रसर आत्मा रारीर मे रहती तो है, उससे चिपट नहीं
जाती । एक नहीं, दूसेर, इस प्रकार वह अपनी ऋ्रमागत प्रगति के.
लिए नृतन देह भ धारण कर टेती है ओर् काय पूरा देने पर देह
से भी अतीत हो 'परम' तक पहुँच जाती है | शायद स्व० राजेन्द्र
ने ® के
को भी हम इसी श्रेणी में रख सके |
राजेन्द्र का जन्म ७ माचे सन् १९४० को जलगाँव (घूस)
में हुआ । जन्म लेते ही, उसके पिता, श्री ० खिभदसि राका के घर
में सुख-समृद्धि बढ़ने लगी । एक विरेष ` आनन्द और मानसिक,
शान्ति का वातावरण घर में निर्माण हो गया | पिता के जीवन पर
कांग्रेस अथवा गांधी विचार-घारा का प्रभाव. तो था दी, परम्परागत
घार्मिक संस्कार भी जीवन-शोधन मे सहायक रहे । सेठ जमनालालजी/
User Reviews
No Reviews | Add Yours...