जीवन जौहरी | Jeevan Jouhari

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Jeevan Jouhari  by रिषभदास रांका - Rishabhdas Ranka

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 जीबन-जीहरी व्यापार से अग पाभिक जीबन मेही स्त्य आदि गुणों का पालन सम्भव है । व्यापार में सचाई का खयाल रखने से भूखों “मरने का मी मौका आ सकता है । कुछ रसे रोग भी होते हैं जो. व्यबद्ार में सचाइ के महत्त्व को स्वीकार तो करते हैं, लेकिन उनके. चारों शोर कुछ ऐसी परिस्थिति और वातावरण रहता है कि दे चाहकर भी विचारों को कार्यान्वित नददीं कर पाते । उनकी निष्ठा या श्रद्धा इडढ़ नहीं होती । छेकिन जमनालालजी बजाज एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने व्यापार में सचाई को अपनाया ओर व्यापरर तथा जीवन मै सफलता प्रप्त कौ । उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि. सचा से व्यापार अच्छा होता है और धन भी कमाया जा सकता है ।. मैं २५ साल तक उनके निकट सम्पर्कमे रह। । इस बीच अत्यन्त निकटता और सूक्ष्मतासे उन्हें देखने के प्रसंग आये ।. उनके निधन के पञ्चात्‌ भी, उनके बहुत पहले कै निकट परिचितो से जानकारी प्राप्त की; लेकिन मुझे कोई प्रसंग नहीं दिखाई दिया जिसमे उनका किंचित्‌ मी असत्य व्यवहार प्रकटं हआ हो | वे केवछ व्यापारी ही नहीं थे, देदा-मक्त ओर सम्रज-सेवक भी थे। मेरा तों विश्वास है कि सचाई से कमाये जानेवाले धन का ही सदुपयोग होता है । बेइमानी से कमाये हुये धन से बुद्धि बिगड़ जाती ह--मन झुद्ध नहीं रहता और न. उसका सदुफयोग- होता है । उसका परिणाम बुरा भी निकलता है । जमनालालजी के कार्य सचाई के कारण ही सफल हुए । और वे हमारे लिए आदर बन गये |




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