सौन्दर्य - शास्त्र | Saundarya Shastra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
53 MB
कुल पष्ठ :
244
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ हरद्वारी लाल शर्मा - Dr. Hardwari Lal Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)की क, ४ कक क शं
ग्रनुभूति किसी वस्तु की अनुभूति से उत्पन्न आनन्द का नाम हैं । श्रपनी
_ /व्िनुभूति--प्रत्यक्ष, स्मृति, कल्पना श्रादि--द्वारा आनन्द को उत्पन्न कड़े वाले
` ` वसत क स को सौन्दर्य श्रौर उस वस्तु को सुन्दर” कहते हैं ~. ४
दे ्टय का व्नुभव-व्यापक और महत्वपूर्ण है । इससे हृदय सरस आर
जीवन उर्वर होता हैं; बुद्धि को नवीन चेतना और कल्पना को सजीवता प्रात
होती. है - इस महत्वपूर्ण अ्नुसूति का द्नुशीलन करने, इसेकें स्वरूप और
स्वभाव को समभकने, जीवन की दूसरी श्रनुमूति्यां के साथ इसका सम्बन्ध स्पष्ट
करने तथा इसकी पंष्ठ श्र रचनात्मक शक्ति को समभने के लिये जिससे कला
का जन्म होता हैं, हमें एक विशेष विचार-माला की श्रावश्यकता होती है |
टस व्यवस्थित विचार-माला को हम “सु य -श्खः.कहते- दै ।
यदि हम सुन्दर वस्तु को याकृतिक जगत् की वस्तु मानकर निरीक्षण
वस्तुओं के सम्बन्ध में सामान्य नियमों की गवेप्रणा करे, तो हमारे प्रयत्न से
'सौन्दर्य-विज्ञान” प्रात होगा । उदाहरणार्थ : हम आकाश, हरे वन, जल-विस्तार,
विश्लेषण से एक बात स्पष्ट जानी. जाती हैं कि ये प्रिय लगने वाले रंगों के
'विशाल और विस्तृत पदार्थ हैं । इनकी विशालता श्र तरलता में हमारे जीवन
“की प्रतिथ्वनि मिलती हैं । अतः हमें ये सुन्दर प्रतीत होते दै}! ंतएव सौन्दर्य
विज्ञान का निणंय है कि वस्तुद्मं, की विशालता और तरलता: उन्हें सौन्दर्य प्रदान
करती दह । इसी प्रकार हम अनेक सुन्दर वस्तुग्रों के निरीक्षण श्र परीक्षण से--
सुन्दर रागो, मूतियो, चित्रो, काव्य-कथानकां च्रादि के विश्लेषण से--देनके
का
सौल्टअ ^ न.
. “4
क
` ¡इनके माधुयं श्रौर सौन्दर्यं को निश्चित रूप से समभने का ग्रयक् किया है।
हमें यह वैज्ञानिक. दृष्टिकोण आदरणीय है ¦ ५धरन्तु हम इसे पणं नही
मानते, कारण कि वस्तु के सौन्द्य का उसके रंग, रूप, रचना, त्राकार च्रादि
॥
` प्रयोग श्रादि द्वारा उसके गुणों का विश्लेषण करं; ग्रौर सुन्दर कही जाने वाली
दुर तक फैले ' हुए खेतों श्र मैदानों को सुन्दर कहते हैं । इन वस्तुत्रों के.
: सौन्दर्य के स्वल्प को सामान्य नियमों द्वारा समकने में समर्थ हो सकते हैं। .
द्माधुनिक . विज्ञान ने स्वरों; श्रुतियों, रंगों ग्रौर ्राकारों आदि की परीक्षा करके.
User Reviews
No Reviews | Add Yours...