मिनखपणा रौ मोल | Minakhapana Rau Mol

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Minakhapana Rau Mol by श्री पुष्कर मुनि जी महाराज - Shri Pushkar Muni Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मिनलपणा रो सात ढ्‌ एवा इन करण लाग्या है, धरती धराद द रदत नन सीक जग बणगी है इण तर सू मानयें भ्यद पति पी सर फूक नै सुरग रा दवतारवा तक न चने ददन टू दिन री परुठ मिछ जावण ू ससार रो नाघ्रश्रर निमाग नना दी मूठया से बघग्यी है । यार तौ मानय सुरग रो वैमद विलर नाय्यो है प्रण झट खण कदर श्रापरां श्रदलणों भावी देयय गठ्गनेद ग्न 2? हिन्दा रौ घठक्णान गरिणण री, मन रा व्दा न्द नापण रो श्रर बुद्धि री पीड़ा न परखद री छठ श्न कीवोदहै? कादि मानमा न ठ्ठ मुख री षग टएए न मिढी है? वाई उण वदई श्राईं जा र~ कीवी के इण सुरंग री सहनाइया र सार र टन हाहाकार द्धप्याड ह ? उणर हिरा, मन श्रःच्ट हैँ असाती सी ज्वादामुखी घघक रह्यो टै, वौ डरा रखा रा वमव ने सिंताक दिन टिकण देवजा 7 नदन श्रात्मिक सुदरता रो रूचडी किताक टिन्य रह एड र्य सका? जठा ताईं मानसा रमन ङे न्निट ट डे नहीं गाज, हिरदा म ग्यान रो सहनाई न ~ ~ भौतिक प्रमति, वारला वमव भरर नन श = ~ एतदा वसेवद्‌ द कौमतनीहै। मव रप माग्गकाटोस भर राग्यो ई इयर य ~= ~




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