यौवन की भूल | Yauvan Kii Bhuul
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)योवन की भूल
श्रीमती रोजमिटी ने आश्चयं से भह वना कर कहा--उइतनें
समरे ! नहीं वावा !
'तो फिर किस समय तक आप तैयार हो सकेगी ?
न्तौ बजे |?
“ओर इससे पहले नहीं ?'
“नहीं, यह भी बहुत जल्दी है ।'
वृद्ध तो हिचकिचाया था; पर दोनों छड़कों की प्रबठ इच्छा
थी कि इस सुन्दरी को छे चलकर उसके सहवास का आनन्द ट्टा
जाय । ओर इसी कारण यहं प्रोग्राम निश्चित हुआ था ।
उस दिन्, मंगख्वार को सब छोग समुद्र तट पर आये ; ठेकिन
देर अधिक हो जाने के कारण इच्छानुसार शिकार न हो पाया ।
श्रीमती रोज॒मिखी को शिकार की अपेक्षा वह जल-मय संसार
अधिक आनन्दप्रद प्रतीत हो रहा था। इसीलिए रोखेन्ड, दद्या
कर चिद्या उठा था--धत्तेरी की ! अवृप्न हदय के ये शष्द्, इतनी
देर के बाद एक मछली फैँसने, अथवा औरतों को साथ छने कीं
बेवकूफी; दोनों भावों को अपने में रंजित किये थे ।
सन्ध्याकाठीन अंधकार को आते देख वृद्ध ने शासनयुक्त स्वर
में कहा--अच्छा लड़कों; अब घर चलना चाहिए ।
पिएर और उरँ दोनों के मुख पर प्रसन्नता खेर गई । दोनों
पानी से डोर खींच, अपनी-अपनी कटिया साण्ड कर, उसे एक
काग र्मे खगा, एक किनारे रखते हए, पिता का अह निहदारने खगे !
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