रंग नाम सत्य है | Rang Nam Satya Hai
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
847 KB
कुल पष्ठ :
66
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'रगकर्मी
छोटा बच्चा
रगकर्मी
15
महत्वावाक्षाए ! डूब गइ या टूटकर विर गइ था दम तोड़
दिया उसने > दप क्यो नही गर देते उहू ?
दो दपन नही हो सकती । हम सब दुछ नये सिरे से वरना होगा,
पुराने मौनार फालतू थे, उन पर और मरम्मत नहीं हो सकती,
न ही य सुनासिव होगा । (कहते हुए मच पर चला जाता है 1)
छ महीने तक बिना चनब्वाह के नौकर जसा काम लिया, तव
कही जाकर एक छोटा-सा रेल दिया घ्रा सस्या वाला न, बडी
बडी बातें वतायी थी । मैं तो पहाड खोदन म लगा हुआ था,
अपनी भी विस्मत देखिए चहिया भी हाय नही मायौ । पर्ला
उठनं के पहने दी नाटक दाप हो गया हमारा 1 नमस्कार 1 पिर
मिलेगे । मापका श्रौ श्री । (मपना नाम वताता है ।}
[मच पर धूण प्रकाशं । नटकदे समस्त पात्र हाले
विभिन्न कोनों से /उठ-उठवर मच पर एकत्रित हो रहे ह ।
'रगकर्मी आगे निकलकर आता है 1]
नमस्कार ! आप सभी महानुमाव नाटक देयन आय हैं, मैं
समझता हु इसे बताने की भी जरूरत नही थी कि आप नाटक
देखने के सिए आये हैं। जाहिर है आप सभी अपना वाई-न-वोई
महत्त्वपूण काम छोड़कर हमारे पास नाटक दंखने के लिए ही
आए हैं। और हम सभी मच पर आए हैं आपस कुछ बातचीत
करने हम यपनी वात यदि सडक! पर सूनाएम तो वारईइध्यान स
नही सुनेमा रिंततावा-अखवारा मे छपवार्येगे तो उम बहुत कम
लोग पढ पायेंगे । चूकि आप सभी लोग किसी-त विसी भावना सं
प्रेरित होगर ओर टिकट लेकर आए हैं ता दिल में जरूर बुछ-न
कुछ मलग देखने की इच्छा भी साय होगी । हम चाहते हैं कि
माप अपने आद-कान मूदकर अपन सार जधिकार हम ना सौंप
दें जैसामापलाग्र याम जीवनम क्ते आए हैं बल्कि हम चाहते
हैं कि आप चाहे कि आपने जो हम इतना वक्त दिया उसका
बदले मे बापको क्या मिला ? आज का नाटक “रंग नाम सत्य है
कोई कहानी नहीं स्थितिया हैं। कौरा दद नहीं रग दिरगी
श्राह हैं 1 हो चुधीजवा गाइए सकस पहने मैं भरकर अपने
अय साथिया स मिलवा दू । में खुद से ही शुरू वरता हू । मैं
[वारी-वारो से सच पर उपस्यित तमाम रगक्मों अपना
अपना नाम बताते ह । इसमें तदनोकी कास समाने
वालों को भी शामिल दिया जाना चाहिए १
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