उपयोगितावाद | Upayogitavad
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १६ )
फिलिप के चिरुद्ध विद्रोंद करने के समय से इड्लेण्ड के
सिंहासन पर विलियम तृतीय के सिंहासनारुढ़ होने के समय
तक का युनाइटेड प्राचिन्सेज़ का इतिहास भी लिखा था । यह
सब काम चार वर्ष में १४ वर्ष से कम की आायु दी में किया था 1
हमारे यहां के छात्रों को यह सुनकर अवश्य आश्वय रोगा ।
मिल के पिता ने उसको ध्रमं विषयक कोई ग्रस्थ नहीं पढ़ाया
था कयोक्ति उसका ईसाई धर्म के किसी भी पनन््थ पर विश्वासं
नहीं था । चह चहुघा कहा करता था--यह समक में नहीं आता
श्वि जिस सृष्टि में अपार दुःख भरे हुवे हैं उसे किसी सर्च शक्ति-
मान् तथा दयालु ईश्वर ने बनाया हो । लोग पक ईश्वर की
कल्पना करे उसका पूजन केवल परम्परा के अनुसार चलने
की मादृत के कारण ही करते हैं, “ हमको किसने बनाया ? ”
इस प्रश्न का यथार्थ तथा युक्ति-सिद्ध उत्तर नही दिया ज्ञा सकता |
यदि कहा जाय क्रि “तरर ने तो तत्काल ही इसरा प्रश्न खड़ा दो
जाता है कि “उस ईश्वर को किसने यनाया होगा !”
यद्यपि मिल के पिता ने मिरु को 'घार्मिक शिक्षा देकर किसी
मत का अनुयायौ चनानि का प्रयत्न नदी किथा था किन्तु नैतिक
शिक्षा देने में किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ी थी | न्याय पर
चङना, सत्य बोलना, निष्कपट व्यवहार रखना भादि याते पिक
के इत्पटल पर अच्छी तरह जमा दीथीं।
मिर पर अपने पिता की उत्कृष्ट शिक्षा का ऐसा अच्छा
असर हुवा था कि कभी कभी मिल अपने पिता के विचारों तक में
भूल निकाल देता था । किन्तु इस वात से उसका पिता रुष्टः
नदी होता था चरन् प्रसन्तापूर्वक निस्लंकोच अपनी भूलें को
स्वीकार कर लेता था|
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