चरक चिकित्सांक | Charak Chikitsank
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
आचार्य रघुवीर प्रसाद त्रिवेदी – Acharya Raghuvir Prasad Trivedi,
वैद्य देवीशरण गर्ग - Vaidh Devisharan Garag
वैद्य देवीशरण गर्ग - Vaidh Devisharan Garag
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
78.2 MB
कुल पष्ठ :
789
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
आचार्य रघुवीर प्रसाद त्रिवेदी – Acharya Raghuvir Prasad Trivedi
No Information available about आचार्य रघुवीर प्रसाद त्रिवेदी – Acharya Raghuvir Prasad Trivedi
वैद्य देवीशरण गर्ग - Vaidh Devisharan Garag
No Information available about वैद्य देवीशरण गर्ग - Vaidh Devisharan Garag
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कविराज डा० किशन जाल गे ह; : हि , 1०, ( लि.) प्रोप्राइटर मॉडर्न मेडिसन स्ट्रोर- कांसी लिखते हैं।--'
“एलोफपैथिक छोषधि थ्रिक्रेता होने के नाते मुफ्े आयुर्वेदिक इंजेक्शर्नो पर विश्वाप्न नहीं था ।
मेरी स्री- को गत न मादद से लगातार रक्तंप्रदरं की शिकायत यी करींन १) साह्द तक अच्छी से अच्छी
सौचधियां और एलापैथिकं इंजेक्शर्नों का.श्रयोग कराया किन्वु कोई लाभ नंदों हुआ्आा । आखिर एक
सित्र के '्मास्रद से दिन्द रिंसचे लेवोरेडरीज में बने. हुए “इलघर”” इंजेक्शन को लगवाया | बिना कुछ
खाने की दवा दिये हुए चेवल इंजेक्शन देने पर पहले ही दिन ५५%, लाभ दो गया उसके बाद यथा-
कस प् इंजेक्शन और देने के बाद सेरी स्त्री बिल्कुल निरोग द्ोगई। सें आयुर्वेद के इस आविष्कार :
पर पंडित जी ब्ो बघाई देता हूं।”
हे: के.“ सिर न ्ग
शी -नी. .वी. राजन ऐफक्सीउयूकेटिव- श्यॉफीसर- केन्दन्मेन्ट .बोड: कांसी लिखते हैं:--- -:- क
“नीटोल “'इलघर'” एक चअपूवे इंजेक्शन दे जो कि यदि पेन्सीलीन से उत्तम नहीं दे तो उसके
सखसान रुण्णकारी 'झवश्य दे । सेरा एक :प्माशित कमेंचारी जो - कि कष्टसाप्य अगन्द्र . से पीड़ित था
ब्ौर जिसका सिवित्त-दास्पीटिल सें दो बार झॉपरेशन भी दो त्वुका था इस पर भी रोगसुक्त नदी
सका । चीटोल इलधघर के * अस्तःत्तेपण लगने से. उसे आशातीत लाभ हुआ. अब केवल ३ इंजेक्शन
लगाने शेष हैं छोर सुसे पूर्ण ाशा दे कि वद्द : मेरा कमेचारी कोसे पूरा कर लेने पर पूर्ण रूपेण रोग
- सुक्त दोजाबेगा ।” बडे . :.. दस्ताच्यूर-जी. वी. राजन !
के न. .*. कक गए... न्टू ं
इसी प्रकार “'दलधघर'” की सफलता जिस जिस रोग में हुई उसका पूरा विवरण न देकर क्रेवल
रोग श्र रोगी का लाम देकर संक्षिप्त में पूरा विवरण दिया जारदा है ।
_ श-शी सुरारीलाल जी आयु ६३ व ४ सद्दीने से वांया कान बच रहा था ९ सी. सी. इलघर
चिशेष के ६ इंजेक्शन लगाने से पूर्ण लाभ छोगया । ं
र-शींसती रामदुलारी उस्र र८ साल छानियसित, सासिफघर्स तथा अस्यावद से ' पीड़ित थी
चलका ४ दिन में करीब करीब ९ खेर रक्त निकल नुका था जिसके काररत उलकी पैठले तक की सामथ्य
हीं थी केवल २ इंजेक्शन “हलघर” उद्स्वर के देसे छे पूर्ण लाख होगया।
इन-पलटन के एक सुबेदार की पत्ती लास छोटो म्र ३५ साल हांथों से सयानक फुसियां थीं
जिसको ४ वर्ष दो चुके थे खुलने पर रक्त बदले लगता था “इलघर'' विशेष के ६ इंजेक्शन देखे पर
रोग ससूल लघ होगया |
४- सरदार सुजानसिंद चस्र रस साल ४---श्रीसती रायकली साहू उख्र ९४ सात्त; दोनों जीखें
ज्वर तथा क्षय के रोगी थे इन्द्को क्रमशः इलघर विशेष के १९-१९ इंजेक्शन * लगाये गये इसके.
उपरांत दोनों पूण स्वस्थ्य दोराये ।
दलघर के अलावा दातच्याधि और भर्दाज्वाव के लिए इंजेक्शन “लादौल 1”
सर्वाज्शोथ चथवा किसी सी शोथ विशेष में इंजेक्शन “शोयारी।”'
विषम ज्वर में प्सलैरीन |?”
हृदय-दौबेल्य सें “सुक्ता” तथा . “जवाइर . सोछरा” प्यांदि इंजेक्शन विशेष उपयोगी हैं ।
- चिशेष जासकारी च्छे लिये
User Reviews
No Reviews | Add Yours...