चरक चिकित्सांक | Charak Chikitsank

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आचार्य रघुवीर प्रसाद त्रिवेदी – Acharya Raghuvir Prasad Trivedi

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वैद्य देवीशरण गर्ग - Vaidh Devisharan Garag

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कविराज डा० किशन जाल गे ह; : हि , 1०, ( लि.) प्रोप्राइटर मॉडर्न मेडिसन स्ट्रोर- कांसी लिखते हैं।--' “एलोफपैथिक छोषधि थ्रिक्रेता होने के नाते मुफ्े आयुर्वेदिक इंजेक्शर्नो पर विश्वाप्न नहीं था । मेरी स्री- को गत न मादद से लगातार रक्तंप्रदरं की शिकायत यी करींन १) साह्द तक अच्छी से अच्छी सौचधियां और एलापैथिकं इंजेक्शर्नों का.श्रयोग कराया किन्वु कोई लाभ नंदों हुआ्आा । आखिर एक सित्र के '्मास्रद से दिन्द रिंसचे लेवोरेडरीज में बने. हुए “इलघर”” इंजेक्शन को लगवाया | बिना कुछ खाने की दवा दिये हुए चेवल इंजेक्शन देने पर पहले ही दिन ५५%, लाभ दो गया उसके बाद यथा- कस प्‌ इंजेक्शन और देने के बाद सेरी स्त्री बिल्कुल निरोग द्ोगई। सें आयुर्वेद के इस आविष्कार : पर पंडित जी ब्ो बघाई देता हूं।” हे: के.“ सिर न ्ग शी -नी. .वी. राजन ऐफक्सीउयूकेटिव- श्यॉफीसर- केन्दन्मेन्ट .बोड: कांसी लिखते हैं:--- -:- क “नीटोल “'इलघर'” एक चअपूवे इंजेक्शन दे जो कि यदि पेन्सीलीन से उत्तम नहीं दे तो उसके सखसान रुण्णकारी 'झवश्य दे । सेरा एक :प्माशित कमेंचारी जो - कि कष्टसाप्य अगन्द्र . से पीड़ित था ब्ौर जिसका सिवित्त-दास्पीटिल सें दो बार झॉपरेशन भी दो त्वुका था इस पर भी रोगसुक्त नदी सका । चीटोल इलधघर के * अस्तःत्तेपण लगने से. उसे आशातीत लाभ हुआ. अब केवल ३ इंजेक्शन लगाने शेष हैं छोर सुसे पूर्ण ाशा दे कि वद्द : मेरा कमेचारी कोसे पूरा कर लेने पर पूर्ण रूपेण रोग - सुक्त दोजाबेगा ।” बडे . :.. दस्ताच्यूर-जी. वी. राजन ! के न. .*. कक गए... न्टू ं इसी प्रकार “'दलधघर'” की सफलता जिस जिस रोग में हुई उसका पूरा विवरण न देकर क्रेवल रोग श्र रोगी का लाम देकर संक्षिप्त में पूरा विवरण दिया जारदा है । _ श-शी सुरारीलाल जी आयु ६३ व ४ सद्दीने से वांया कान बच रहा था ९ सी. सी. इलघर चिशेष के ६ इंजेक्शन लगाने से पूर्ण लाभ छोगया । ं र-शींसती रामदुलारी उस्र र८ साल छानियसित, सासिफघर्स तथा अस्यावद से ' पीड़ित थी चलका ४ दिन में करीब करीब ९ खेर रक्त निकल नुका था जिसके काररत उलकी पैठले तक की सामथ्य हीं थी केवल २ इंजेक्शन “हलघर” उद्स्वर के देसे छे पूर्ण लाख होगया। इन-पलटन के एक सुबेदार की पत्ती लास छोटो म्र ३५ साल हांथों से सयानक फुसियां थीं जिसको ४ वर्ष दो चुके थे खुलने पर रक्त बदले लगता था “इलघर'' विशेष के ६ इंजेक्शन देखे पर रोग ससूल लघ होगया | ४- सरदार सुजानसिंद चस्र रस साल ४---श्रीसती रायकली साहू उख्र ९४ सात्त; दोनों जीखें ज्वर तथा क्षय के रोगी थे इन्द्को क्रमशः इलघर विशेष के १९-१९ इंजेक्शन * लगाये गये इसके. उपरांत दोनों पूण स्वस्थ्य दोराये । दलघर के अलावा दातच्याधि और भर्दाज्वाव के लिए इंजेक्शन “लादौल 1” सर्वाज्शोथ चथवा किसी सी शोथ विशेष में इंजेक्शन “शोयारी।”' विषम ज्वर में प्सलैरीन |?” हृदय-दौबेल्य सें “सुक्ता” तथा . “जवाइर . सोछरा” प्यांदि इंजेक्शन विशेष उपयोगी हैं । - चिशेष जासकारी च्छे लिये




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