जम्बुचरियं | Jambu Chariyam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
243
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य जिनविजय मुनि - Achary Jinvijay Muni
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जेबुयरियं - प्रस्ताचवा
बरकमलसरिसवयणा कमलदलच्छी थ चारुकमलकरा ।
वियसियकमलनिसण्णा सुयमयदेवी नमेऊण ॥
आयरिय उबउ्ज्ाएं साहुजण शगुरुअणं च नमिऊण ।
जह वि हु एयं बहुसों अणेयसाइुहिं आगमे मणियं ।
तहवि य फुडवियडत्य संखेवेण अष्टं भणिमो ॥
सुयणो सोडण ह्म गुणगहणं कुणई जहवि ते नत्थि |
गुणभूसिए वि क्वे दोसे गिष्हह् खलो चेव ॥
सुयणाण किं न नमिषह जे वि य दोसे वि [ प० २, ^ ] पेच्छहिं गुणोहे ।
पियजणविरहे जह कोह पिअयणं पेच्छई वणं पि ॥
न हु निम्मला वि किरणा रिणो पेच्छेर शोसिओ तमसे ।
तह चेव गुणा इह दुञ्जणो वि पेच्छेद विवरीए ॥
जह विह वहामि अहं खलाण एमेव तह वि ईवियाण ।
तहवि महंत वसणं नो तीरह छडिठं एयं ॥
अह वा-
जो विय एकस्स खो सो चिय अण्णर्स सज्जणो होई ।
कह सुयण-दुज्ञणाणं पसंस-निंदा अहं करिमो ॥
जेण भणियं-
र्ता पेच्छति गुणा दोसा पेच्छ॑ति जे रिरदति ।
मज््षत्था पण परिसा [ १०२, ? ] दोसे य गुणे य पेच्छंति ॥
ता मश्न्तथा तुम्हे दोसे परिहरह तहवि दद्ण ।
गिष्दह विरले वि गुणे सुयणसहावे पि मा मुयह ॥
एत्थ य चारि कहाथो पण्णतताओ जिणेहिं सब्वेहिं ।
अत्थकहा कामकहा धम्भकदा मीसगक्डा य ॥
अत्थकडाए अत्थो कामो तह चेव कामुयकहाएं ।.
मण्णद् षम्भकहाए चउव्विहो हीह जह धम्मो ॥
सो पुण एसो मणिम जिणेहिं जियराम-दोस[ ष० ३, ^ ] मोहिं ॥
तव-सीर-दाण-भावणमेशणं होड चददाओ ॥
अणसणमा्य तवो सीरं पुण होइ चरण-करण हु ।
जीवदयाई दाणं अधुयाई भावणा डुंति ॥
धघम्मी अत्यो कामों भण्णद मोक्खो वि मीसगकहाए ।
एसा सा मीसकहा भणामि हं जिणवरे नमिडं ॥ २०
User Reviews
No Reviews | Add Yours...