शरत की सूक्तियां | Shart ki Suktiyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
125
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शरत्की सूक्तियाँ ६
गराकीके कष्ट भोगनेका विडम्बनासे कमा महत्वको नहीं पाया जा
सकता, हाँ, पाया जा सकता हे तो थोडे-से दम्भ ओर अहम्मन्यताको ।
शेष पश्च
रारीबी या अभाव इच्छासे आवे या इच्छाके विरूद्ध आवे, उसमें गवं
करने लायक कुछ नहीं होता । उसके भीतर हे शून्यता, उसके भीतर हे
कम ज़ोरो, उसके भीतर है पाप ।
शेष पक्ष
आनन्द तो नहीं, बल्कि निरानन्द ही मानो उस (हिन्दू समाज.) को
इस सभ्यता ओर मद्रताका अन्तिम खच्य बन गया दह ।
--शोप प्रश्न
मनुष्यका दुःखदही यदि दुःख पानेका अन्तिम परिणाम हो तो
उसका कोई मूल्य नहीं हे ।
--शेष परश्च
दुःखी लोर्गोकी कोड अलहदा जाति नहीं है, और दुःखका भी कोई
बैघा हुआ रास्ता नहीं हे । ऐसा हो तो सभी उसे बचाकर चल्ट सकते ।
--देना पावना
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