राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला | Rajasthan Puratan Granthamala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कविवर जान और उनके ग्रन्थ हर कुल अन्य २१, हे; २, १९, ३, ११; 9, द,न्ल्पेप । श्री रावत सारस्वतसे प्राप्त सूचीके श्रजुसार १ - सुधासागर श्ौर २ - स्वास संग्रह, दो श्रौर होने चाहिए, श्रतः कुल मिलाकर ७० दोते हैं । अन्य ग्रन्थ १, कवि चढलभ, र. सं. १७०४, शादजहके समय । काव्य शास्त्रका सदस्वपूर्ण अन्थ । २. मदनविनोदु, र. सं. १६९० का. सु. २, कोक,; पंचसायक, नंगरंग, श्दज्ारतिलकके ाधारसे रचित । ३. घुद्धिसागर;-र. सं. १९६९५ मि. सु. १३; पंचतंत्रका श्रज्ुवाद, शाहजहाँको भेंट किया । इस श्रन्थके संबंधमें विशेष जाननेके लिए “'कविजानका सबसे बढ़ा अन्थ' शीषक लेख देखना चाहिए, जो कि हिन्दुस्तानी, भाग १६, श्रट्न श में प्रकाशित है । ४. ज्ञानदीप, पथ प६०८ कथाएँ, सं. १६८६ वे. व. १९, 9० दिनमें रचित । ( जय- 'चन्दूजी संग्रह, श्री पूज्यजी संग्रैद, बीकानेर ) देखें त्रजभारती, चर्ष १; भ्रक्ठ ११ । ५. रसमंजरी, र. सं. १७०४ का, पत्र ४४, सरस्वती भण्डार, उदयपुर । ६, लफखाँकी पैडी, - प्रस्तुत अन्थके परिशिष्टमें प्रकाशित हो रददी दै । ७. कायम रासा - प्रस्तुत क्यामर्खा रासा । उपर्युक्त अन्थोंमेंसे बीकानेरके संग्रहालयोंमें जान कविके निम्नांक अ्रन्थोंकी अतियाँ प्राप्त हैं । सम्पादनादिमें उपयोगी समक सूचना दी जा रही है- अनूप संस्कृत लाइब्रेरी में १. सतवंतीसत, र. सं, १६७८, सम्चद्‌ १७२६ व १७२९ की लिखित दो श्रतियाँ प्राप्त हैं । २. लैला मजनू ; सं. १९९१, (सम्बत्‌ १७५४ की लिखित संग्रद्द ्रतिमें ) । ३. कथामोहनी, र. सं. १६९४ मि. सु. ४ ( सं. १७२९३० लि. संग्रह-प्रतिमें ) । ४. कविचरलभ, र. सं, १७०४ पत्र, प६ । महत्वपूर्ण काव्य अन्थ, चित्र काव्य थी है । ५. रसकोष, र. सं. १६७६, पत्र ३७ ( सं. 9६८४ फतहपुरमें लिखित प्रति) ६. मद्नविनोद, र. सं. १६९० का. सु. २ पत्र २७ ( सं, १७४३ मे लि. प्रति ) हमारे अभयजेन ग्रन्थालयमें १. घुद्धिसागर, सं, १६४५ पत्र ३८६ (सं. १७१६ लिखित) । रे. क्यामरासो, सं० १६९१५ (प्रति सं, १७११में की गई ) । दे. अलफखांकी पढ़ी, पय १००, सं. १६८४ लगभग ( सं. १७१६ लि. ) । ४.८ चढ़ुक मति, सं. १६९५ ।




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