खेती की कहावतें | Kheti Ki Kahavaten
श्रेणी : कृषि, तकनीक व कंप्यूटर / Computer - Technology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
61
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० खेती की कहावतें
&. पछिवाँ श्राई बादरी , राँढ़ इषुबी जाय;
यह बरस, वह घर करे, उनको यही सुमाय ।
१०. जब पवन चल पुरवाई ,
तो बादर काटि लगाई ।
११. सावन पहिली पंचमी जोर कि चलें बयार ,
तुम जाना पिय मालवा, दम जावे पितुसार ।
१२. भादों जे दिन पश्छिम बयार ,
ते दिन माधे पड़े तुसार।
१३. मावे - पसे बह पुरवाई ,
त्र सरसो कह माहो खाई ।
१४. माघ - पूष दक्खिन चले,
तो सावन के लच्छन करे।
१५. रबाभोर चतौ पुरवा,
तब जानो वषां - ऋतु श्राई।
१६. जब जेठ चले पुरवा,
तब सावन धूल उड़ाई ।
१७. सावन के मुख पच्छिमा ,
यह है समय कि लच्छिमा ।
१८. बयार चले ईसाना ,
ऊँची खेती करो किसाना।
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