टूटी हुई बिखरी हुई | Tuty Hui Bikhari Hui
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
171
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रात्रि
1
में मींच कर आँखें
पिः जसे क्षितिज
तुमको खो उमा हूँ ।
2
यो दसारे साँस के सूर्य !
सांस की गंगा
अनवरत बहु रही है ।
तुम कहाँ डूबे हुए हो ?
त्यी विद्व हैर / 1
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