नैतिक - जीवन | Naitik - Jeevan

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Naitik - Jeevan by चन्द्रराज भंडारी विशारद - Chandraraj Bhandari Visharad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क्य) र ५५ | १ कप स्वरा क्रचन नतक जानं ५ रे पूचंज आय्य लोग शरू शरू मै आरत +. कं अन्दर झाये, जब उन्होने अपनी समाज की रखना करना प्रारस्म किया, उस समय उन जागो के ध्यान से समाजशास्त्र के झनेक सुच्म तत्वाोँ के साथ साथ पर यह शी बिना व्यक्तियों के जीवन कक क्र १५ ही भ मसा स ।षै ५ पर नह रह सकती । उन लोगों ने शछपदे विसाद मस्तिष्क के द्वारा सत्काल दी यह निष्कष| निकाला दि. जब तक प्रत्येक यात ॐ हृदय मे सामाजिक कतेञथ की ज़िस्मेदारी के भावों का समावेश नहीं हो जाता, जब तक हर रक्त व्यक्ति सामा- जिक सार्थों के साथ व्यक्तिगत स्वाथ ऋ मेल नहीं कर लेता, तबतक समाज के झन्द्र होनेवाली अनिकारक घटनाझ का अन्त नहीं हो सकता । वे लोग मनोविज्ञान के इस सच्म तत्व + है




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