शकुंतला नाटक | Shakuntala Natak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
52 MB
कुल पष्ठ :
181
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न दा: करियर,
“हें. +
यद्यपि हिंदी गद्य के जन्मद ता श्रोलस्लुजोल्लाल कवि हुए,
कितु राजा लन्त्मणसिहं ने प्रेमसागर के पूरे हेने के पचास
- वर्ष पीछे देसी सीधी, ठेठ, मीठी भ्र शद्ध हिंदी लिखी कि हम
इन्हें ठेठ दिदी का पहला श्रौर एक ही लेखक कहें ता कुछ
श्रलुचित न होगा । श्रौर सबसे बटृकर ते उन्होंने यह कास
किया कि जैसी ( सरल व ठेठ ) हिंदी लिखनी प्रारंभकीथी,
रेत तक उसी ढंग को निबाहा शरीर कभी भूलकर भी अपने.
सिद्धांत में गड़बड़ न होने दिया ।
उन्होने पहले पदल (सन् १८६१ ई० मेँ) शकुंतला नाटक
का हिंदी ( गद्य ) में झजुबाद किया जा कि सन् १८६२ ई०
में छुपा था । उस पर लेग मे इतना चाव दिखलाया कि वह
राजा शिवग्रसाद के शुटक में घुसकर शिक्षाविभाग की पढ़ाई
में पहुँचा । इस पर लोग ऐसे लटटू हुए कि भारतवष की
कौन कदे. योरप कं बड़े बड़े समाचारपत्रं, विशेष कर मिस्टर `
प्रोडरिक पिनकाट साहव ने, इसकी इतनी बड़ाइ की थी कि ल्
मिनामि
इनका पहला अर थ भ्रेमल्लागरः सन्*१८१० ई० मे पूरा होकर कम
/..... छुपा और पाठशालाओं के विद्यायि यों का पढ़ाया जने छगा । 1
+ { टल्लूनीराठ कवि का सनू १८१८ तक् वतेमान रहना तो
लालचंद्धिका से सिद्धदहै। नदीं विदित किवे कब्र तक जीए । ग
{ श्रोरल्लूजी राट कवि की श्रादि वा पहली दिदी से बन्हीं के. म
समय से धेड दिन पी के राजा ठक्षमणसिंह की हिंदी ्राकाश
पाताल का मेद है । इस बात को पढ़नेवाले प्रेमसागर और शकृतढा `
की पुस्तकें हाथ में लेकर आप समक सकते हैं । ४;
User Reviews
No Reviews | Add Yours...