शकुंतला नाटक | Shakuntala Natak

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Shakuntala Natak by श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न दा: करियर, “हें. + यद्यपि हिंदी गद्य के जन्मद ता श्रोलस्लुजोल्लाल कवि हुए, कितु राजा लन्त्मणसिहं ने प्रेमसागर के पूरे हेने के पचास - वर्ष पीछे देसी सीधी, ठेठ, मीठी भ्र शद्ध हिंदी लिखी कि हम इन्हें ठेठ दिदी का पहला श्रौर एक ही लेखक कहें ता कुछ श्रलुचित न होगा । श्रौर सबसे बटृकर ते उन्होंने यह कास किया कि जैसी ( सरल व ठेठ ) हिंदी लिखनी प्रारंभकीथी, रेत तक उसी ढंग को निबाहा शरीर कभी भूलकर भी अपने. सिद्धांत में गड़बड़ न होने दिया । उन्होने पहले पदल (सन्‌ १८६१ ई० मेँ) शकुंतला नाटक का हिंदी ( गद्य ) में झजुबाद किया जा कि सन्‌ १८६२ ई० में छुपा था । उस पर लेग मे इतना चाव दिखलाया कि वह राजा शिवग्रसाद के शुटक में घुसकर शिक्षाविभाग की पढ़ाई में पहुँचा । इस पर लोग ऐसे लटटू हुए कि भारतवष की कौन कदे. योरप कं बड़े बड़े समाचारपत्रं, विशेष कर मिस्टर ` प्रोडरिक पिनकाट साहव ने, इसकी इतनी बड़ाइ की थी कि ल्‍ मिनामि इनका पहला अर थ भ्रेमल्लागरः सन्‌*१८१० ई० मे पूरा होकर कम /..... छुपा और पाठशालाओं के विद्यायि यों का पढ़ाया जने छगा । 1 + { टल्लूनीराठ कवि का सनू १८१८ तक्‌ वतेमान रहना तो लालचंद्धिका से सिद्धदहै। नदीं विदित किवे कब्र तक जीए । ग { श्रोरल्लूजी राट कवि की श्रादि वा पहली दिदी से बन्हीं के. म समय से धेड दिन पी के राजा ठक्षमणसिंह की हिंदी ्राकाश पाताल का मेद है । इस बात को पढ़नेवाले प्रेमसागर और शकृतढा ` की पुस्तकें हाथ में लेकर आप समक सकते हैं । ४;




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