सफाई | Safai
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गणेशदत्त शर्मा गौड़ - Ganeshdatt Sharma Gaur
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दाम ¶फै
लक कि अपनी पत्तों की सोपड़ी को भी उनसे कहीं घधघिक सुभीतेवाली
बनवा सकते हैं । गांव के रहनेवाले किसान लोग झ्गर हमारी इन यातों
पर ध्यान देंगे तो दादर के रददनेदालों से मो श्रपनें को श्धिक सुखी
बना सकेंगे ।
गांदों के लोग झपने घरों को टीवारों को गोवर-सिट्टी से लीपते हैं
और मकान का फर्श सी गोयर-मिट्टी से या घोड़े की लीद॒ श्र मिट्टी से
ल्लीपते हैं । टोवारों पर सफ्ेंटी कमी करते ही नहीं। इससे पुरू तो मकान
की शरोमा नहीं यढ़ने पाती श्र दूसरे उसमें उजाला चहुठ कम
रददठा है । कहीं-कहदीं पाइनाम की सफेद मिट्टी पोतने के काम में लाई
लावो है, परन्तु सिवाय सफेदी के उसमें कोई गा गुण नदी होता 1
मिट्टी के बने मकानों में, श्रौर मिट्टी से बनी दीवारों में बीमारी के की डे
अच्छी तरदद पलते रददते दे । प्लेग, देज्ञा जेंसे दरावने रोगों के कोटे देखो
दीचातें में भ्रच्छी तरदद चेन करते ईं झौर उसमें रदनेवालों का नाश कर
ढाकते हैं । इसलिए दीवारों को चूना-क्रज्ई से पुदवाना चाहिये । चूना
कोई बहुत उपादा मेंहगी चीज्ञ नहीं दै। दो पैसे सेर से लगाकर चार
पेंसे सेर तक श्रच्ठा चुना मिल जाता है। थोदढा-सा लालच छोड़कर
या तमाखू-पीडो के ग़्चे में वसो करके मकान को चूना-क्रलई से ज़रूर
ही पुठचाना चादिये । हर ठे महीने न दोसकफे, तो. साल-भर में एक
बार तो पने रहने के सकान में चुने से जरूर ही सफ़ेदीं कर देनी
चाहिए । चूने में योमारों पटा कानेवाले कीड़ों को फौरन दी मार ढालने
की ताकत दै । प्लेग, दैज़ा, इन्स्लुपूजा जेसे भयंकर रोगों के कीटे, चूने
ये पुतो दीवारों पर नहीं ढदरने पाते--सर जाते दइं या भाग जति इ 1
इसके. सिवाय स्वट्मल, पिस्सू, सच्छर जसे छोटे-दोटे जन्तु मो चूने से
पुवी हुई दीवारों पर कम टिकते दे ।
गांव में घनन रखने की. कोडियाँ हरेक घर में होती दे उन्दें भी
जीप-पोठकर घिक्ञडुल साफ रखना श्ादिये । उनके नीचे का साग
ऐसा रना इया दोना चादि कि उनके नीचे, कचरा-कूड़ा, चूहे, साँप,
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