बापू | Bapu
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
80
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लोभ-दस्यु लट-पाट करके
वख््र-घन छे गया है हरके ।
कितने युगा कौ घौ भूतरान !
जानं कव होगा प्रात ?
दीखता अकाय ही विकट ध्वान्त |!
नूतन शताब्द-रिष्यु-देतु व उभी असन्त ।
हो न अरे सन्तति का सववंस्वान्त !
रात्रि चढ़ती हो प्रति पल हैं ।
रात्रि कट जाय तब वह भी सफल हूं ,---
पाकर प्रकाडामणि)
हायरी, प्रकादामणि !--कौन स्वनि
घारण किये हद तुफे अन्तर सें ;
पुष्ठकर उर के अजस्र दुग्घ-सर में ?
बहुत युर्गों के बाद; पूर्व-पुण्यस्थल की
आशा अहा ! आचा वह ऋर्को ।
देखो तो, सुनो तो, धेयं धरके
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