जंगल के फूल | Jangal Ke Phool
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४
बहाता रहा । परन्तु जिस रात भरिया का बिहाव हुश्रा, उसीःराते वह सामनेके
पीपल के भाड़ मे फंदा लगाकर लटके गह ।*
सामने पीपल के भाइ की श्रोर अ्रंगुली दिखाते हुए गायता ने कहा, वह
रहा पीपल । नरकी पहुरं पंजाबी ने भ्रपने सारे कपड़ों में आग लगा दी
श्र शिरिया के साथ मरने को तैयार हो गया । गांव भरमै उसे समाया पर
वहं दीवाना धा, न माना । जहां भिरिया को दोरसायाः गया था, वहु रेज
जाकर वहां घंटों बैठा रहता था । कई दिन यही करता रहा । गांव में किसीसे
न बह बति करता प्रौर न कू खाता-पीता । मोटा-ताज़ा झादमी सूखकर कांठटा
हो गया भौर एक रात गांव छोड़कर न जाने कहां चला गया । झ्राज तक फिर
उसका पता नहीं लंगा । जाते समय किसीसे कहता रहा है कि फिरिया रोज
रात को उससे मिलने बंगले में श्राती है श्रौर कहती है, वह उसके पास श्रा जाए ।
नपंजाबी चला गया पर, शिरिया का हस्सा रोज़ नडुम नरकी' इसी कमरे में
जहां बह सिपाही सोता था, श्रती है । वह उसे खोजती है। कहते हैं कभी
भरिया जोर-जोरसे रोत्ती है । कभी गाती है । कभी नाचती है। मरने के बाद
शिरिया ख़ुड़ैल हो गई, मालिक, इसलिए उसके जीव से हर कोई -डरता है ।
मेरे ही लोनों का किस्सा हैं सिरकार । कोबेसाल मिहरिया ने एक पेड़गी*
को जनम दिया । यह खबर बताने जब मेरी पेकी* बाहर भाई तो छाती'
पर उसने एक श्ररप्रार बटा देखा । पेड़गी का जनम श्ौर श्ररप्रा की सिर पर
सवारी | कित्ता बड़ा भ्रशुभ था यह्]. उसने श्रसश्राको मारनेके लिए एक पथरा
फंका.।' उस पथरे को उठाकर प्ररश्रा भागगया श्रौर उसके बाद पेडगी मारी
जैसी रोज़ घुलने लगी
काला श्रफसर वहां श्रा पहुंचा था ! एक 'सिलटः मारकर बोला, 'सब श्र
जभैटहौ गया सरकार ! हुजूर के मन-बहुलाव के लिए नाच-गाने का भी ।
गायता की प्रोर मुड़कर उसने तेज़ी से कहा, व्यो रे, सरकार से क्या शिकायत
करता था?
शिकायत नही मालिकः , ४ के
“शिकायत नहीं तो क्या है, हुजूर को क्या सिखाता है ? श्ररुपा पाथर ले ..
१. सबेरे . २. दकनाना.. ३. आपी रात ४. घर ५.दो साल पहले... ४. लड़की श
७, जवने लड़की २८. उल्लू ˆ +
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