नय - दर्पण भाग - 1-2 | Nay - Darpan Bhag - 1-2

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Nay - Darpan Bhag - 1-2 by जिनेन्द्र वर्णी - Jinendra Varni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची श पपात थ एका त'- १ पक्षपातं का विप १ २ वचनो में जन्तरग भावोकी ४ क्षलवं दे पक्षपात का कारण ६ ४ कुछ शरीर भी है ७ ५ वैनानिक् वनं ` ६ झगम में सब कुछ नही १० ७ कोई भी मत सबथा झूठ नहीं १३ ८ श्रनेकान्तवाद वाजम १६ २» श््द्‌ यक्ञान सम्बन्ध १ पटने का प्रयोजन श्राति १८ २ प्रत्यक्ष वे परोक्ष नान १६ ५ प्रतिविम्ब व चित्रेण ०य्‌ ४ श की श्रसमथता २४ ५ वस्तुको खण्डित करके २७ प्रतिपादन की पद्धति ३ वस्तु व ज्ञान सम्बन्घ-- पृ अन्पनता कौ वाघत्ता पक्ष ३ष्‌ प्रात व एवात > वस्तुजनेवागी हू ३६ + विश्लेपण दारा पराक्षज्ान ३६ ४ परोसचान का चानपना ४२ = कुछ शदा वे लक्षण थ [न य [तर विषय पूष [ ४ प्रमाण व नय - १ श्रम्यास बरने की प्रेरणा २ अ्खडित नान का झथ ४ सम्यद्ध व सिथ्याज्ञान - १ नय प्रयाग का प्रयोजन ४७ ४६ ५६ २ सशयादि व उसका कारण ५७ अखंड चित्रण का तभाव ३ सम्यक्व मिथ्यानानके ५६ लक्षण ४ आगम ज्ञान मे सम्यकब ६० मिथ्यापना भू प्रत्यक्ष ज्ञान में सम्यक व ६१ मिथ्यापना ६ सम्पस्तान में अनुभव वा. ६४ स्थान ७ काल्पनिक चिल्॑ण सम्यग्तान ६६ नही ८ झागम की सत्यायता दण ६ चनी वे सानिघ्य क्म ६६ ¡ मम्यग्नानेप्राप्तिमें स्यान १० वस्तु पढने का उपाय ७० ११ कुछ लक्षण ८० ६ द्रय सामान्य - १ नयों को जानने वा प्रयोजन ५४




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