जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश भाग 4 | Jainendra Sidhant Kosh Bhag 4

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Jainendra Sidhant Kosh Bhag 4  by जिनेन्द्र वर्णी - Jinendra Varni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्व० पृण्यश्लोका माता मूर्तिंदेवीकी पवित्र स्मतिमें तत्सुपुत्र साहू शान्तिप्रसादजी द्वारा ऊ संस्थापित मारतीय ज्ञानपीठ मूतिदेवी जैन ग्रन्थमाला इस ग्रन्थमाछाके अन्तगत प्राकृत, सस्कृत, अपन्नंश, हिन्दी, कन्नढ़, तमिल आदि प्राचीन मापाओमें उपलब्ध आगमिक, दाशनिऊ, पौराणिक, साहित्यिक, ऐतिहासिक आदि विविध-विपयक जैन-साहित्यका अनुसन्धानपूर्ण सम्पादन तथा उसका मूल और यथासम्मच अनुवाद भादिके साथ प्रकाशन हो रहा द्ै 1 जैन भण्दारोंकी सूचियों, शिलालेख-संग्रह, विशिष्ट विद्वानोंके अध्ययन- अन्थ और छोकहितकारी जैन-साहित्य अन्य भी इसी भन्थमालछामें प्रकाशित हो रहे हैं । ग्रन्यमाला सम्पादक डॉ. हीराछाल जैन, एम. ए., डी, लिदि्‌, डॉ, का, ने, उपाध्ये, एम, ए., डी. लिट, प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ प्रधान कार्याक्य : थी|४५-४७, कनॉट प्टेस, नयी दिल्ली-३१०००१३ प्रकाशन कार्यालय . दुर्गाकुष्ड मारे, वाराणसी-२२१००७ शुद्रक : सन्मति मुद्रणारूय, दुर्गाकुण्ड भार्ग, चाराणसी-२२१० ०५ .. खा * यश ५ वो गाय 7 पिनननननननरनरभनननन>-_ऋरऋऊ+9++« : फाल्युन कृष्ण ९, चोर नि० २४७७० ७ विक्रम रा सं० २००० ७ १८ फरवरी, १९४४ सर्वाधिकार सुरक्षित




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