ज्ञान सरोवर भाग - 3 | Gyan Sarovar Bhag - 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
360
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ब्रह्मांड की फहानी 7
हवा के घेरे से बिल्कुल बाहर हो जाती होगी श्रौर धीरे-धीरे वहा पानी की कमी पडने
लगी होगी । तब पानी की उस कमी को पूरा करने के लिए वहा के इजीनियरो ने
बडी-बडी नहरें बना कर मगल के उत्तरी श्रौर दक्षिणी ध्रुवो से पानी लाने का प्रबस्थ
किया होगा । ।
लेकिन श्राजकल के ज्योतिषियो की राय है किं मगल पर कोई नहर नही है ।
कही-कही धब्बे जरूर हे, जो साफ नही दिखाई देते । उन्हें देर तक देखने की कोशिश
में झाखो को यह धोखा हो जाता है कि वहा लकीरे हे । इस बात को सिद्ध करने के लिए
एक ज्योतिषी ने एक कागज पर श्रलग-श्रलग, वहुत से छोटे-छोटे धन्वे लगा दिए भौर.
उसको वहत दर रख कर उसने लोगो से देखने को कहा । बहुत दूर रसे जाने के कारण
कागज के वे नन्हे धन्वे दूरबीन से भी भ्रलग-ग्रलग नही दिखाई दिए । एेसा लगा कि
कागज पर लम्बी सीधी लकीरे चिची हे । इस तरह उस ज्योतिषी ने सावित किया कि
मगल पर जो काली लकीरे दिखाई देती है वे लकीरे नही हे, बल्कि मगल की सतह
के धब्बे हे ।
भ्राजकल के ज्योतिषी यह् भी नही मानते कि मगल पर जीव-जतु हो सकते है,
क्योकि उनकी राय में वहा की हालत ऐसी नही है जिसमे कोई जानवर जिन्दा रह सके ।
इसमे कोई सदेह नही कि मगल बहुत ठडा है । वह पृथ्वी की अपेक्षा सूर्यं से
अधिक दूर है । पृथ्वी को सूर्य की जितनी गर्मी मिलती है, मगल को उसकी श्राधी
भी नहीं मिलती । इसलिए मगल पर गर्मी की दोपहरी में भी कम-से-कम उतनी ठंड
होती होगी, जितनी भारत में फरवरी के महीने में सुबह-नाम होती है ।
मगल पर हवा का घेरा भी इतना पतला होगा कि वहा सास लेना नामुमकिन
होगा । पृथ्वी के पाच ही मील ऊचे पहाडो पर चढने में श्रादमी को नाक मे हवा से भरा
हुमा तोबडा वाध कर, नकली तरीके से सास लेना पडता है । फिर मगल पर तो
हवा इतनी पतली होगी जितनी पृथ्वी पर लगभग 11 मील की ऊचाई पर होती है ।
यह सही है कि जब मगल के उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव की बफं पिघलती दिखाई
देती रहै, तव॒ उसके निचले भाग की ग्रोर हरियाली की लकीर-सी उभरती दिखाई
देती है । इसका यह् मतलब लगाया जाता है कि बफं पिघलने पर जब पानी ध्रुवो
की श्रोर से बीच की श्रोर बहता है, तो वहा हरी काई, घास-पात या श्रनाज की फसलें
उग जाती होगी । लेकिन इसका कोई पक्का सवूत श्रभी तक नही भिला है ।
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