सुभाष चन्द्र बॉस | Subhas Chandra Boss
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
154
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री व्यथित हृदय - Shri Vyathit Hridy
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
उलमन में
. सुभाष बाबू के माता-पिता चाहते थ किं हमारा
लड़का सरकार में अच्छा नाम पेदा करे । इसी लिंए
जव सुभाष वाच बी० ए० का इम्तिहान पास कर के
एम० ए० की तेयारी करने लगे, तव इनके पिता ने इन्दं
परिललायत जा कर सिविल सरविस की परिक्ता पास करने
की राय दी । लेकिन सुभाष बाबू को उनकी यह राय
पसंद न आई । सच बात तो यह थी, कि सुभाष बाय
कोई बड़ा हाकिम चन कर मरकार को कुर्सी पर नहीं
चेठना चाहते थे । उन के दिल में देश की गहरी भक्ति
समाद हुई थी । उन्होंने अपनी ज़िन्दगी भारत माता
का सांप दी थी । वे हमेशा रारीवों और किसानों की
तकलीफ़ों से दुखी रहा करते थे । इस लिये जय उन के
पिता ने उन्दें यदद सलाह दी, तब से एक बड़ी उलकन
उधर चाप की आज्ञा, योर इधर मारत माता की सेचा।
थे सोचने थे, कि अगर में विल्लायत जा कर सिविल
सरबिस का इम्तहान पास कर लेता हूं तो देश के गरीबों
की सेवा सुक से न हो सकेगी | अपनी एक चिटठो में
खुद इन्होंने लिखा है--
पिता जी ने प्रभे विलायत जा कर सिविल सरविस
की परीत्ता पास करने की राय दी है । में बड़ी चिन्ता
User Reviews
No Reviews | Add Yours...