भेद ज्ञान | Bhed Gyan

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Bhed Gyan by ब्रह्मचारी मूलशंकर देसाई - Brahmchari Moolshankar Desai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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थी परम्गत्मले नमः {छः श्री भगवद्धात्मने नमः श्री परम पारणापिक भावाय नमः श्री ० मद्‌ ज्ञान मङ्गलाचरणम्‌ अभिवंध शिरसा अपुनर्भवकारणं महावीरं । तेषा पदाथ भङ्ग मामे मोक्षस्य चक््यामि ॥ अन्वयाथे-- ( अपुनभवकारण ) मेोक्षके कारण भूत ( महावीरे ) बद्धमान तीथकर मगवानको ( जिरसा ) मस्तकद्वारा ( अमिवंद्य ) नमस्कार करके ८ मो्षस्यमाग >) माक्षके मागे अर्थात कारण स्वरुप ८ तेषां ) उनषडद्रव्योके ( पदार्थं भङ्ग ) नव॒ पदाभेरूप भेदको ( वक्ष्यामि ) कुगा \ वर्तमान पंचम कार्मे अगवान परम भद्रक देवाचिदव श्री वद्धेमान स्वामीका शासन चलता हैं । क्योंकि वह धर्म तीर्थके करता हैं । उनको भक्ति पूर्वक वंदन करके मै मोक्ष मारीके साधन भूत॒ “ भेद ज्ञान का स्वस्प कहुंगा ।




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