गायेन जस देखेन | Gaayen Jas Dekhen

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Gaayen Jas Dekhen by सियाराम मिश्र - Siyaram Mishr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अंडसे मास्टर का नमस्कार सिच्छा अस अदिमी की पूंजी जेहिकाना चोर चौराड सका ग्वरचे नै व्रा नित्त भौरनानिन का को मटकाद सका मानेन स्वतंत्रता पाधेन हम, हुई गेन स्वतंत्र फ़िरि कटकटाइ सुनियन बनायेन दिढ अपनिद्ध मिकसेन सडकन पर बजबजाइ । असं गगन-फार, वक्वाधि किहेन नासन कै दफ्ती लिहे हाथ सिका क्रिश्ला देखिनि हमरी लद नवा जोश हुई लिंहे साथ सोचेन हमहूँ नौकरी वनद चीनी जूता अस फौलादी यह सासालीदी मा कब लौ पििहै मेहरू भौलादी। कलजुग के ढाल संगठन हइ हाकिम हरहो ना छेंड़ि सकइ साथद हर साल नतीजा कं दह सोटिस नाहि सदेडि सके रुपिया की पायेन महासतर ससन ना अव दुरिआद् सकद हुम चह जो केरी हेन स्वतत्र परबत का कौन हलादइ सकद। परवन्ध कमेटी हद हमार ना ओहिका कुछ अधिकार रहा सरकार बनो चेतन दाता चोरइ हुई पहरेदार रहा । अनुशासन सब हृद्या त्रिश्च हेम जआपनि मौजहमार रहै अब हुकुम अइस लागे हमका जइसे री अखबार रहे । फैसन दुनिया के देखि देखि हम अदबदाइ भेन दीवाने लोरेन अइयासी को. रिकिट करतेब अपनायेन मनमाने पहिले टिउदान मा मेहनति करिं निपटेन कुछ दिन महूँगाई ते अवे तौ विरकुल जिउ भाजि गया हुई लागति हमैं पढ़ाई ते । सब छाँड़ि पढ़ाई दुनिया की हर गतिविधि ते मतलब हुइगा हम टुइगेन गुण्डन के गुण्डा ना शिष्टाचार रंच छुटगा कुछ पालन लरिका सककछाप सँललौखे बोतल खोलइ का फिर बकइ लगेन हम अस्ट-सन्ट केष्टिकी हिम्मति अब बोलइ का । यारास विश्न गयेन जसं देवेन




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