अजिताश्रम पाठावली [भाग-1] | Ajitasram Pathavali [Bhag-1]

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अजित प्रसाद - Ajit Prasad

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शीतला प्रसाद - Sheetala Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यां तदी इन्द्र आगच्छं आगच्छ, इन्द्राय स्वाहा। श्रमे श्रागच्छ आगच्छ, अग्नये स्वाहा । ॐ यपर आगच्छ आगच्छ, यमाय त्वाह । ४, ॐ नैच्छत श्रागच्छ आगच्छ, नैऋताय स्वाहा । ५, ॐ वरुण श्रागच्छ आगच्छ, वरुणाय स्वाहा । ६, ॐ पवन भ्रागच्छ श्रागच्छ, पवनाय स्वाहा । ७, ॐ” कुवेर ्रागच्छ अगच्छ, कुवेराय स्वाहा। ८, ॐ देशान गच्छं मागच्छ, एेशानएय स्वाहा । ६. ॐ धरशीन्द्र आगच्छ आग- छ, धरणीन्द्राय स्वाहा । १०. ॐ सोम श्रागच्छ गच्छ, रोमाप स्वाहा । यः पाण्डु फमल शिलागतमादिटेव- मस्नापयन्सुरवरा सुरशल मूध्नि । कल्याणमीप्सुरह मक्षत-तो य-पुष्पे। सेभवायामि पुर एव तदीय विम्बम्‌ । ६ ॥ ६ १. ॐ २. ॐ ३. ( श्री वणे पर जिनविम्व को स्थापना करना ) सत्यल्लवार्चत मुखान्कलधीतरूपय- ताम्रार-क्ट-घटितान्पयसा सुपूर्णान्‌ । सबाह्यतामिव गताश्चतुरः सथद्रान्‌ , संस्थापयामि कलशान्‌ जिन वेदिकान्तेः ॥ ७ ॥ (बेदी फे कोनो मे चार कलशो को स्थापना करना )




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