शरत - साहित्य शेष प्रश्न | Sharat - Sahitya Shesh Prashn
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
312
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about धन्यकुमार जैन 'सुधेश '-Dhanyakumar Jain 'Sudhesh'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दोष प्रश्न १९१
हरेन्रने कहा, ¢ इट इज दरू मच । ” ( बहुत ज्यादती है । )
अक्षयन जोरके साथ प्रतिवाद किया, “ननो, इट इज नट {° (नर्ही, नहीं है |)
अविनाश बोल उठे; ” ओ हो--कर क्या रहे हो तुम लेग!
अधयन किसी बातपर ध्यान ही नहीं दिया, बोले, “' आगंरेसे वे भी किसी
दिन प्रोफेसर थे । उनके आझु बाबूको बतलाना चाहिए था कि केसे वह
नौकरी छूटी । ”
हरेन्द्रने कहा, “ अपनी इच्छासे छोड दी । पत्थरका कारबार करनेके लिए. । ”
अक्षयने खण्डन किया; “ झूठी बात है | ”
शिवनाथ चुपचाप भोजन कर रहा था, मानो इस सब वितण्डा-वादसे उसका
कोई सम्बन्ध ही न हो । अब उसने मुँह उठाकर देखा और अत्यन्त स्वाभाविक
भावते कहा, “' बात तो झूठी ही है । कारण, प्रोफेसरी अपनी इच्छासे नहीं छोडतों
तो दूसरोकी यानी आप लेरगोकी इच्छसे छोडनी पडती । ओर सो ही हुञा । ”
आगु बाबूने आश्चर्ये साथ पूछा, ५८ क्यो १”
रिवनायने कहा, ^ शराव पीनेकी वजहसे ] °
अक्षयने इस बातका प्रतिवाद किया; “ नहीं, शराब पीनेके कुसरपर नहीं,
मतवाले दोनेके कुसूरसे । ”
शिवनाथने कहा, “ जो दाराब पीता है वहीं तो कभी न कभी मतवाला
होता है । जो नहीं होता, वह या तो झूठ बोलता है, या शराबके बदले पानी
पीता है | ” कहकर वह हंसने ख्गा |
अक्षय मरे क्रोधके कठोर हो उठा, बोख, “ निरलंजकी तरह आप हँसना
चह तो दस सकते है, मगर इस कुसूरको हम लोग माफ नरह कर सकते ¦ ””
रिवनाथने कहा, ^“ ऐसी बदनामी तो में आपकी करता नहीं कि आप माफ
कर सकते हैं । इस सत्यकों मैं स्वीकार करता हूँ कि स्वेच्छासे मुझसे नौकरी
छुडानेके लिए. आप लोगोंने स्वेच्छासे काफी परिश्रम किया था । ””
अक्षयने कहा, “ तो आशा है कि और भी एक सत्य आप इसी तरह
स्वीकार कर छेगे । आपको शायद साठूम नहीं कि हम लोग आपकी बहुत-सी
बातें जानते हैं । ””
दिवनाथने गरदन हिलाकर कहा, “ नदी, सुझे नहीं सालम । फिर भी
इतना अवश्य जानता हूँ कि औरोके विषयमें आपका कुतूहल जैसा अपरिसीम
User Reviews
No Reviews | Add Yours...