जीवनी खंड | Jeevni Khand
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
44
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जीवनी खंड ६
मीग प्याला पी लिया रे, बोली दोउ कर जार |
ते ता मारणु की करी रे, मेरों राखणुहारों आर ॥ ४ |
आधे जाहडी कीच है रे, आधे जादृड होज।
आधे मीरा एकली रे, श्वि गणाकी फीज ॥ ५. !)
फाम क्रोध को डाल के रे,+ सील लिये हथियार 1
नीती मीग ण्कलों 3३. हारी राणा की धार ॥ ६ ॥
काचगिरी* का चौतरा मे, थैठे साथ फ्चास |
जिनमे मीरा ऐसी दमके, लख तारे मे परकास ॥ ७ ॥|
[ मीरा की ठाय्दादला, वेलवेडियर प्रेस सर्करण प० ४०-४५ ३
इस पद की ध्वनि कुछ ऐसी है जो रमे मीगचिन नेम सदेह उप-
स्थित करती है । विशेषकर प्रतिम दो लग्ण पाचि का चौतरा र
इत्यादि हो मी की लेग्बनी से उद्भूत हो ही नहीं सकते । इसी प्रकार मीं
तथा उनकी सास श्रौर ननद की चातचीन जिन पढो में दी गई हैं. उनके
मीसों-रचित होने मे पूर्ण संदेह है । एक उदाहरण देखिए :
[ऊढा | माभी मीरा कुल ने लगाई गाल.
इंटर रद का आया जी ऑलवा ।
[ मीग | वा ऊदाथारै म्होर् नानो नारि,
सामा व्रत्या का आया जी त्रालयार ॥५॥
[_ ऊदा ] भाभी मीरः कासावःका संग निवार,
सागि सद्र थो निन्दा क|
[ मीय | चाड उदा करता पटना भव मारो.
ग्ने लागे ग्मना गम मे ॥र्॥
{ वा प्र ३०३]
ये एवते नीटक्यो के प्थवद गर्तालाप जन जान प्टते ह! इनका मीरा
द्वारा लिखा जाना फिसी प्रकार सम्भव नहीं जान पड़ता 1
के एन वहा या भाप, से फोर सव 4
द दन ग सादर उण उससे उन लव दिला 3
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