जग का मुजरा | Jag Ka Muzara
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
41 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१८ जग का मजरा
टाईप राइटर कों जंग लग जायेगा । तुम्हें भी फिलहाल “रालफिया सपन्टीनाः
की जगह 'सपंगंधा' याद करने की जरूरत नहीं । यह् हिन्दी वाला कल तुम्हें
लेटिन पारिभाषिक दाब्दों के स्थान पर संस्कृत के शब्द लिखा रहा था ।”'
बनर्जी बोल पड़ा--“भाई, ये हिन्दी वाले बहुत संकीणें विचार हैं आखिर
तो हिन्दी चूल्हे-चौके, छुआ-छूत मानने वाले प्रदेश की भाषा है । संकी्णंता
उनका स्वभाव है । ये लोग अपवित्रता के भय के कारण देश-विदेश के वेज्ञानिक
विकास और सम्पर्कों से दूर रहना चाहते हैं । प्रधानमंत्री का कहना बिल्कुल
ठीक है--हिन्दी वालों की असहिष्णुता ही हिन्दी को पीछे हटा रही है ।''
देव ने बनर्जी को घर कर पूछा--+“'असहिष्णता नहीं तो क्या है ? राष्ट्र
के अधिकांश लोगों को अंग्रेज़ी को केन्द्रीय भाषा बनाये रखने में सुविधा है तो
हिन्दी वाले हिन्दी को केन्द्रीय भाषा बनाने का आग्रह क्यों करते हैं ? जिस
भाषा से शासन और दिक्षा का काम नहीं चल सकता उसके प्रति भावुकता से
क्या लाभ ?
तप्पी ने कुर्सी से उचक कर पुछा--“कोन कहता है अधिकांझ लोगों को
अंग्रेज़ी से सुविधा है और अधिकांद जनता अंग्रेज़ी को केन्द्रीय भाषा बनाये
रखने के पक्षम है?
“बिल्कुल प्रत्यक्ष है” नायर ने उत्तर दिया, “जनमत के कारण ही सरकार
को हिन्दी स्थगित करनी पड़ी है । राष्ट्रपति को इसीलिये अंग्रेजी कायम रखने
का आदेश देना पड़ा है 1
तप्पी और आगे झुका--“तुम्हारा मतलब है कि देश के अधिकांश लोग
अंग्रेजी जानते है?
नायर ने इन्कार किया--- यह् मैने कब कहा कि अधिक्रां् लोग अंग्रेजी
जानते हँ
तप्पी उसको बात दबा देने के लिये ऊँचे स्वर में बोला--“जो लोग
अंग्रेज़ी नहीं जानते वे भी अंग्रेजो केन्द्रीय भाषा रहने में सुविधा अनुभव करते
हैं? वे चाहते हैं कि द्ञासन ऐसी भाषा में हो जिसे वे न समझते हों ? तुम्हें
मालूम है, जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार देवा में सबसे अधिक अंग्रेज़ी जानने
वाले केरल में हैं और जनाब, केरल में अंग्रेज़ी पढ़े दो प्रतिशत हैं । इन अंग्रेज़ी दां
लोगों में वह लोग भी सम्मिलित हैं जिन्होंने अंग्रेजी की एक रीडर पढ़ ली है
पर अंग्रेजी का न एक वाक्य बोल सकते हैं, न पढ़ सकते हैं । स्पष्ट है, देश में
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