साधना के मूल मंत्र | Sadhana Ke Mool Mantra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.21 MB
कुल पष्ठ :
327
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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न नह 5
मन आर मस्तिष्क का मिलन
जैनवमं ज्ञान श्रीर प्रिया का मार्ग है । ज्ञान से जीवन मे श्रालोक
का प्रभात प्रस्फूटित होना है, विवेक दीप प्रज्वलित होता है
श्रीर उससे साधना का, क्रिया कासूद का पथ प्रदास्त होता है । प्रिया
ये जीवन को गति मिलती है, ज्ञान को घिकसित होने का श्रवसर
मिलता है । ज्ञान, साघना-पथ फो देसने के लिए श्रास देता है तो
फ्रिया, साधना पश्र पर गति करके रास्ता तय करने के लिए पैर प्रदान
करती है । श्रथ॑ यह हुमा किज्ञान से जीवन मे विवेक जगता है तो
फ्रिया से जीवन मे चमक श्राती है । ज्ञान प्रिया को विद्युद्ध बनाता है
तो प्रिया ज्ञान को चमकाती है। इघर पत्र, पुष्प एव फलों से लदी
वृक्ष की णोभा को पबिढाती है, तो उधर वृक्ष भी उन्हे
जीयन रस प्रदान करता है, उनकी शोभा मे श्रभिवृद्धि करता है । जल
से कमल पल्लवित होता है, तो कमल से जल श्रीर जलाधय शोभित
होता है । उसी प्रकार ज्ञान से क्रिया प्रागावान बनती है, तो प्रिया से
ज्ञान गमिमान् बनता हे ।
परन्तु जब तक साधक ज्ञान श्रौरी म्रिपा का उचित समन्वय नहीं
कर पाता है, तब तक उसके ज्ञान में सम्यकू गति नहीं श्रा सफती श्रौर
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