बाल रोग चिकित्सांक | Bal Rog Chikitsank
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.59 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विश्वेश्वर दयालु - Vishweshwar Dayalu
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के पचों का लातन पालन छू [ 1.
क्यसस्यपायसगयनतन्यमम्दसयं
बच्चे को जन्म थे दूध
जन्म के बत्द बच्चे के शरोर का 'अच्छो
प्रकार साफ करके उसे स्नान कराकर बस्तर में
लपेट कर रसे माँ के पाम हो बिस्तर पर लिटा
देना चादिये । क्योंकि जन्स होने के समय बच्चे
के शरीर पर बहुत कुछ जोर थे द्रव पहुंचता
है।इस लिये उसे इस समय शोर सब बातों
से बढ़ कर चबिश्राम को अधिक झावश्यकता
होती है, जो इस समय दूध नहीं. पिलाना
ऋडिये।
बद्द जितना सो सके उसे उतना सोने देना
चादिये। अधिकांश अवस्थाओं में बच्चे के छः
से बारइ घन्टे तक किसी प्रकार के भोजन की
आवश्यकता नहों होती । हां अगर बच्चा इससे
पहले ही कुछ वेचेन हो तथा चिल्लाने लगे तो
पहले च्से एक चावल का औआाठवा भाग स्ण _
भरम जरा से शहद में मिला कर रे, झगर स्वणु
मस्म न हो तो जरा से स्बण को शहद में रगड़
कर दे |
जन्म के दिन दूध पिछाना
छातियां को खूब अच्छो तेरद घोकर 'और
साफ करके सुखा लेगा चाहिये । जब तक घच्चे
को जन्म लिये-छुः से वारद्द घन्टे न बीत जांय
तब तक उसके मुँ ६ में स्तन नददीं देना चाहिये,
छानियों से जो दूध सयसे पढले निकलता है।
उससे कुत्त रेचक शुण होठ हैं, जिसका प्रभाव
व्च को आन्त्रीं पर बढ़त अच्छा पड़ता है,
रेचन गुण के कारगा दी बच्चे का गठडरे इरे से
रंग के दो तीन दस्त झा जाते है। इससे वच्चे के
इदूर की गन्दगों बाहर निकक जाती दै ।
अगर बच्चे को जन्म से चोबीस घन्टों के
अन्दर कोई सल त्याग न हो ता आठ दस चू'द
रेडी का तेल अथवा इतना ही जैतून का मेल
' गरम जल में मिलाकर पिल्ञावें । तथा रेंडी का
तेल ददर पर भी लगाव । इस प्रकार काने से
एक दो दस्त दो जाते हैं
इसके बाद बारइ धरन्टां मे दो बार झधोत्
छ. छः घन्दे बाद बच्चे को दूघ पिल्लाना च.दिये ।
पहले चोबीस घन्टों में बच्चे का छातियों को
चूसना या न चूमना उसथी दूध पीने की इच्छा
पर निभंर करता दे । यदि छातियों से दू'ग होगा
९थोर बच्चे को आवश्यकता होगी तो चढ़ पो लेगा
नददीं तो छाड देगा, यदद नियम है। कि उस
अवसर पर बहुत जोर से चूसने पर भा बहुत
दी थोड़ा दूध निकलता दे । यदि छातियों में दूध
नहीं तो भी जोर लगाकर चूसने से बच्चे को
कोइ दान नहीं होती चसे ही पहले चौबास
घन्टों में बच्च॑कों प्राय: कुछ भी दूध नहीं मिल्नता
ऐसे अवसर पर पास पड़ोस की स्त्रियों के कहने
पर भी वच्चे को ऊपर का पाड़ी गाय इत्यादि को
दूध नहीं दना चाहिये । क्यों कि ऐसा करने से
बच्चे की पाचन शक्ति बिगड़ ज्ञाती हैं । तथा बच्चा!
रुग्ण ही रद्दने लगता हे ।
नोट--जन्म लेने के समय से छ॒'ौर
बारह घन्टे के अन्दर केवल एक बार दूध पि-
लाना 'वाहिये । इसके चाद छ; छः घटे बाद दूध
पिन्ावे ।
“जो खिया पदले पहल श्रयूता दोती हैं ।
उनकी छातियों में प्राय: दो तीन दिन तक कुछ
भी दूध नहीं होता और कभी कभी २ सो ऐसा
User Reviews
No Reviews | Add Yours...