साहित्य-संदीपनी | Sahitya Sandeepini

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Sahitya Sandeepini by चन्द्रवली पांडे-Chandravali Pandey

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about चन्द्रवली पांडे-Chandravali Pandey

Add Infomation AboutChandravali Pandey

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(९३ दूसरी भार इस व्रात को पुट किया है कि कठिन अभ्यात और साधना से हम जिन बुदि (स्मरि ) को भ्रात करने है रस्ठुतः वही दमे मायां यन ( अछाउद्दीन की कैद ) से मुक्त करती है ॥ 5६ छीर आदि संत-सूफियों के प्रेमयोग में विचार करने की बात यहद कि उन्होंने राम और छृष्ण को पति का रूप किस ृटि से दिया हे सौर , अपने को पदी क्या कहा है। संत-सादित्य छा समीश्चक यह सच्छी तरह, जानता दै कि “दुरः जघ प्रेम-वाण से शिष्य को आहत फर देतादैतत्र बह परम पुरुप का साश्षाकतार “दकार अथवा शीर्षस्थान में कर लेता है ९ और तभी से अपने को परम-पुरुप की विवादिता पली के रूप में देखने गतां है। उसके सामने पतिव्रता सती का रूप मा जाता है. और उसी को अपना आदर्श मान; कर वह प्रेम के अल़ाड़े में रति का व्यायाम करता दै राम भौर कृष्ण को बदद परम-पुरुप का वाचक समझता है, कुछ साकेत भौर गोलोक का निवासी नहीं। संस्कार ययया लोमवश जव वह्‌ राम भौर कृष्ण की छीलाभो क उच्ठेख करने छगता दे तत्र हम उसे सूर सौर तु्सी के साथ भक्ति-भूमि पर पाते हैं, किस्तु ज्यो उक कान में यह ध्वनि पडती है कि राम अयतार तथा अवतारी दोनो ई, त्यों वद कु व्याकल-सा हो नाता कै और आाप्रद कर कद बैठता दै कि उसके राम वैष्णव भक्तों केमते सर्वधा भिन्न हैं । राम के स्वरूप का निरूपग ता. वह कर नहीं सकता, किन्तु उन्हें पति के रूप में मान कर उनके सयोग के लिए तदप दध्र सक्ता है। उक परेम-पदर्चन म बह उद्वेग भौर वड क्षोभ नदीं मिल सकता जो , सूफी आायरी में बराबर पाया जाता है। जो छोग ठ्डिता और विद्याखा के रूप में अपने को कित कर छ्य का भिर जगाते ह उनके मेमयोग के विषय में क्याकदा जाय,टवे ततो माघुनिक गोपी षौ उदरे) सियो में मी कभी कभी ; एकाध सूफी ऐसे निकल, आति ये जो ख्री-वेप में रददा करते ये, पर मजहबी अदनन के करण इस प्रकार का अभिनय कर नटराज को छमा नदीं पाते थे । हि ४ ५ ऊपर जो कुछ कद गया है उसे यदद स्पप्टन्‍नदीं दो पाता कि 'प्रेंमयोगी, हिन्दी के सूफियों ने' इढयोग को कि रूप में अपनाया है लौर उसे कहाँ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now