भँवर-गीत | Bambasr Geet
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १२ )
्रनेक उपाय किप, किन्तु वह किसीमें भी सफलन शो सका।
शमन्त मे उसने यज्ञ के बहाने क्रूर को मेज्ञकर छष्ण शरोर वल-
राम को गोकुल से मथुरा बलवा भेजा । मथुरा पर्हूचकर कष्ण
जीने कसको मारकर उग्रसेन को राज्ञा बनाया भोर पने
माता पिता, देवकी श्रोर वसुदेव के षंदीग्ट से क्ुाया ; कुन्जा
नामक दासी की सेवा से प्रसन्न होकर उसे शपनी निमंल भक्ति
की अधिकारिणी बनाया । उधर गेक्ुल में गापियां कृष्ण के
विरह में श्रत्यन्त व्याकुल रहने लगीं । जब नियत समय बीत
जाने पर भी कष्ण जी गेल न पर्हैचे तब ते गोप्यो ने संदेशे
भेजने श्रारम्भ कर दिए । सदेशा पाकर कृष्ण जी ने परपने मित्र
उद्धघ को गेकुल भेजने का निश्चय फिया । उद्धष को गोकुल भेजने
म एक रहस्य था, व यह कि उद्धव को श्रपने योगश्चोर ज्ञान
का बड़ा घमंड था । पने ज्ञान के श्रागे प्रेम मोर भक्ति को बह
बहुत ही हेय समते थे; निगंण उपासना के प्रागे सगुण उपासना
की हंसी उड़ाते थे । यह सब देखकर इष्ण जी ने साचा कि उद्धव
का गवे तभौ चूर ्टोगा, जब वह गोकुल जाकर गोपियों की
सची भक्ति तथा उनके निमंल मेम का ममे समभंगे । अतः उन्दों
ने उद्धव का यह कहकर गोकुल मेज दिया कि षह अपने ज्ञान-
मागं का उपदेश देकर गोपियों को सममा वुादं श्रौर उनके
(ष्ण के ) प्रेम से उन्हे विरत करदे जिससे वे उनके विरह में
दुःखी न शो सकं ।
र्ष्णजी के ध्रादेशायुसार उद्धव गेकुल जा पर्हुचे । गाकरुल
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