अहिंसा दर्शन | Ahinsa Darashan Ac 5790

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Ahinsa Darashan Ac 5790 by बलभद्र जैन - Balbhadra Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ५ ) ६--झाद्दार विहार म भदिसक दृष्टि जीवन शुद्धि के लिये श्र्हिसा की प्राथमिक शतं श्रष्टमूल शुण-- गद्य-मास--घर्मशास्तर, नीतिशास्ज, विज्ञान, शरीर विज्ञान, समाज सुधार, श्रा्थिक, सौन्दयं, स्वास्थ्य श्रौर शक्ते, मावना श्रादि दृष्टयो से मांसाहार निषेध-- रात्रि भोजन त्याग-जल गालन- शिकार त्याग-- त्याग योग्य पदार्थं पष्ठ २६१-२६० उ--वैचारिक क्षेत्र में झहिंसा की सार्थकता वैचारिक श्रहिंसा की आवश्यकता--श्रनेकान्तवाद--स्याद्वाद- दार्शनिक क्षेत्र मे स्थाद्वाद की साथंकता--दार्शनिक क्षेत्र पर स्याद्वाद का प्रमाव--व्यावहारिक जगत्‌ में स्यादूवाद की उपयोगिता--श्रहिस का चरम ल्य श्रात्म स्वातन्न्य--कर्म श्रौर क्मफल क्या है पृष्ठ रे£ १-३२ रे ८--विश की वतमान समस्यायें भौर अदिंसा का भविष्य वर्तमान समस्याये--डिक्टेटरशिप-- प्रजातन्त्र श्रथवा जनतत्र- समाजवाद श्रथवा साम्यवाद्--ऋ्रथिक--मुमि समस्या-- विश्वयुद्ध बनाम विश्व शान्ति--नैतिक--न्याय बनाम समाज व्यवस्था- सारे संकटो का मूल भौतिकवाद या. जड़वाद है--झअहिंसक समाज बनाम विश्व सरकार--श्रहिसा का भविष्य पृष्ट ३१४-३४०




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