काव्य सम्प्रदाय और वाद | Kavya Sampraday Aur Wad
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ठ )
पास करना भर रहता हे, जिसके फलस्वरूप हमारी वहं शक्ति नितान्त
वित या कलुषित हो जाती है 1 ˆ ° ` इस विकृति का प्रभाव पारक,
्लोचकों तथा साहित्यकारो-- तीनों पर देख! ज। सकता है, श्रौर उसका
कुफल साहित्यकारों तथा सम्पूणं जातीय साहित्य को भोगना पढ़ता
है ।””--( साहित्य-चिन्ता, प्रष्ठ-संख्या ८ ) |
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