आरोग्य निकेतन | Aarogya Niketan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.06 MB
कुल पष्ठ :
424
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
ताराशंकर वंद्योपाध्याय - Tarashankar Vandhyopadhyay
No Information available about ताराशंकर वंद्योपाध्याय - Tarashankar Vandhyopadhyay
हसकुमार तिवारी - Haskumar Tiwari
No Information available about हसकुमार तिवारी - Haskumar Tiwari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के सेवा-जतन मे कोई कोर-कसर नही की, श्रौर श्राज वह मुझके”'*। रो पडा
वहू।
डाक्टर ने कहा--तो चलो, देख ही झ्राऊं !
डाक्टर नगे ही बदन चल पड़े ।
व्यस्त होकर मोती बोला--ग्रौर श्रापका छाता ?
__छाते की जरूरत नहीं । फिस-फिस पड रहा है पानी, इसमें छाते
का काम नहीं पडेंगा ।
डाक्टर बो फशिल पाँवो मद-मथर गति से चलने लगे । मोती लपककर
निकल गया--मै जरा पहुँचकर घर खबर कर दूँ चाचा !
--जाम्रों '
पहले पहुँचकर मोती को जरा घर-प्रॉँगन साथ-सुथरा कर देना था,
वच्चो को सँभाल देना था । माँ शायद मैले-कुचैले कपडो मे लिपटी पडी
होगी, उसे साफ कपडे पहना देने थे । डाक्टर का न जाना भी क्या था
दरवाजें पर डाक्टर ने गले को साफ किया श्रौर श्रावाज दी--मीती !
मोती ने जवाब दिया--जी, श्राया !
झाया यानी जरा देर श्र सब्र करें डाक्टर चाचा, तैयार नही हो पाया
हूँ । डाक्टर खडे रहे । अच्छा ही हुमा, सामने दूर तक साफ दिखाई दे रही
थी वह कच्ची सडक । इसी सडक से सफेद कपडे का छाता झोढे सिताव
मुखर्जी आ रहा होगा । उसके एक हाथ में होगा वह छाता, दूसरे मे दुआी
हुई लालटेन और शतरज की पोटली । कहाँ रा रहा है सिताब ?
मोती ने पुकारा--अन्दर आइये चाचा
बूढ़ी तकलीफ से कातर हो पडी है । मोती ने सच ही बताया था कि बड़े
कष्ट में है । घुटना सुज गया है । सुजन पर डाक्टर ने हाथ रक््खा । वुढिया
तिलमिला उठी भर डाक्टर चौक पड़े । बुखार भी है शायद ! घुटने पर से
हाथ हटाकर बोले, जरा नब्ज देखूँ !
डाक्टर नाडी देखने लगे--यह बुखार कब से है ?
मोती बोला--बुखार कहाँ है चाचा ?
--बुखार है । नव्ज देखते-देखते ही वे बोलें ।
घूंघट के झन्दर से ही मोती की माँ फुसफुसाई--वह ददे की वजह
श्दे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...